Mikhail Gorbachev death: आज एक ऐसे शख्स के बारे में बताएंगे जिन्होंने कोल्ड वॉर किया यानि कि बिना खून खराबे के जंग फतह की. 91 साल के सोवियत यूनियन के साबिक प्रेसिडेंट मिखाइल गोर्बाचेव लंबे वक्त से बीमार चल रहे थे. उनका इंतक़ाल हो गया. मिखाइल गोर्बाचेव ने बिना खून खराबे के कोल्ड वार को खत्म किया था. और अमन के लिए उन्हें नोबेल पीस प्राइज़ भी मिला था. मिखाइल सोवियत यूनियन के 8वें और आखिरी प्रेसिडेंट थे. गोर्बाचेव सोवियत यूनियन के एक बेहद ताक़तवर लीडर थे. उनके इंतकाल पर रूस के सद्र पुतिन ने अफसोस ज़ाहिर किया है. मॉस्को में उनकी आखिरी रसूमात अदा की गई. वहीं इनके ज़िंदगी के बारे में बात की जाए तो इन्होंने अपनी ज़िंदगी में काफी जद्दोजहद की. कई रूसियों ने गोर्बाचेव को उस उथल-पुथल के लिए कभी माफ नहीं किया, जो उनके सुधारों ने शुरू की थी. लेकिन फिर भी वो सोवियत संघ के खात्मे को रोकने में नाकाम रहे. रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक साल 1989 में कम्यूनिस्ट मश्रिकी यूरोप के सोवियत ब्लॉक क़ौम जम्हूरियत के हिमायत के खिलाफ मुज़ाहिरा करने लगे. तब भी उन्होंने ताकत के इस्तेमाल से परहेज़ किया.वहीं पिछले क्रेमलिन लीडरान ने 1956 में हंगरी और 1968 में चेको स्लोवाकिया में बगावत को कुचलने के लिए टैंक भेजे थे. लेकिन मुज़ाहरीन ने सोवियत यूनियन के 15 जम्हूरिया में खुद मुख्तारी को हवा दी. जो अगले दो सालों में अफरा तफरी के तरीके से फैलने लगी. उस तबाही को रोकने के लिए गोर्बाचेव ने जद्दोजहद किया. और इसे रोकने की पूरी कोशिश की