What is the Meeqat? If this work is not done during Hajj, then entry is not available, understand in VIDEO अल्लाह पाक से मुलाक़ात की सच्ची तड़प, बरकतों का घर, इंसानियत का मरकज़ और तोहीद की बेमाल अलामत को देखते ही आंखों से आंसू.हज उम्मत की वहदत का ज़ामिन है.हज के ग़र्ज़ से हिजाज़े मुक़द्दस पहुंचने वाले फ़रज़ंदाने तोहीद के एहराम बांधने के लिए इस्लामी शरियत में पांच मक़ामात मुक़र्रर किए गए हैं. जिन्हें मीक़ाते एहराम या फिर सिर्फ़ मीक़ात कहा जाता है. बता दें कि कुल पांच मीक़ात हैं. पहला - ज़ुल हुलैफ़ा दूसरा - क़र्न-अल-मनाज़िल तीसरा - यलमलम चौथा - अल जूहफ़ा पांचवां - ज़ाक़ते इर्क़ क्या आप जानते हैं कि किसी भी मोअतमर के लिए इन मक़ामात में से किसी एक से एहराम के बग़ैर मस्जिदे हरम की जानिब सफर करने की इजाज़त नहीं है.अगर कोई शख़्स दानिस्ता तौर पर मीक़ात से एहराम बांधे बग़ैर गुज़र गया तो उसे वापस आना होगा या फिर फिदया के तौर पर क़ुर्बानी करनी होगी. अहम बात ये है कि मक़ामी शहरियों के आज़मीने हज को उनके घर पर ही मीक़ात का दर्जा हासिल है.वो उमरा या हज के लिए अपने घरों से एहराम बांध कर निकलते हैं.इन शहरों में रहने वाले ग़ैर मक़ामी अफ़राद इलाक़े में क़ायम मस्जिदे आईशा से एहराम बांधते हैं.
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