जीएसटी (GST) को लेकर आए दिन कुछ न कुछ खबर सामने आती रहती हैं, वहीं अब रोटी पराठे को लेकर खबर सामने आई हैं. जिसमें कहा गया था कि रोटी पर 5 फीसदी जीएसटी और परांठे पर 18 फीसदी जीएसटी क्यों. लेकिन अब इसे लेकर फैसला साफ हो चुका है.जिसे लेकर हम इस वीडियो के ज़रिए पूरी जानकारी देंगे. रोटी पराठे को लेकर जीएसटी अलग अलग ये नाइंसाफी क्यों? यह खबर आई और चर्चाएं शुरू हो गई रोटी भी आटे से बनती है, परांठे भी आटे से बनते हैं. फर्क़ तो बस घी, वनस्पति या खाद्य तेल का ही है न अमली तौर पर ये बातें नॉर्मल लग सकती हैं. लेकिन इसके पीछे कई दलीलें भी हैं और तर्क भी तमाम पहलुओं पर बात करेंगे, लेकिन सबसे पहले अपडेट जान लेते हैं. दरअसल, देश में जीएसटी लागू हुए 5 साल से ज्यादा का वक्त बीत चुका है, लेकिन इससे जुड़े कई विवाद आज भी चल रहे हैं. जिनपर फैसला आना अभी भी बाकी है. इन्हीं विवादों में शामिल था वाडीलाल इंडस्ट्रीज लिमिटेड से जुडा एक विवाद क़रीब 20 महीने से चल रहे इस विवाद पर गुजरात अपीलेट अथॉरिटी फॉर एडवांस रूलिंग ने फैसला सुनाया है कि रोटी पर 5 फीसदी जीएसटी, जबकि परांठे पर 18 फीसदी जीएसटी लगाया जाएगा. दरअसल ,ये विवाद 20 महीने पहले वाडीलाल इंडस्ट्रीज ने परांठे पर 18 फीसदी जीएसटी लगाने की मांग की थी, जिसको लेकर सुनवाई चल रही थी. वहीं इस विवाद को लेकर कारोबारियों की दलील थी कि रोटी और परांठे में इस्तेमाल होने वाला मुख्य उत्पाद आटा ही है, लेकिन 20 माह की लंबी लड़ाई के बाद फैसला उत्पादक कंपनी वाडीलाल के हक़ में आया. गुजरात अपीलेट अथॉरिटी फॉर एडवांस रूलिंग ने अपने फैसले में कहा कि रोटी और फ्रोजेन पराठे में फर्क़ है.अथॉरिटी ने कहा- “फ्रोजेन परांठे और रोटी में इस्तेमाल होने वाले प्रोडक्ट्स में काफी अंतर है. इसलिए इस पर जीएसटी भी अलग-अलग होनी चाहिए.” वहीं इसे लेकर एक और तर्क दिया गया कि गुजरात अथॉरिटी फॉर एडवांस रूलिंग का फैसला उस पुराने फैसले को ही बरकरार रखता है. जो जून 2021 में अथॉरिटी ने कहा था कि पैकेज्ड परांठे को पकाने में 3 से 4 मिनट का समय लगता है. इसे तब तक पकाया जाता है जब तक यह दोनों तरफ से गोल्डेन ब्राउन नहीं हो जाता. इतना ही नहीं परांठे में आटे की मात्रा 36 से 62 फीसदी के बीच रहती है. यह रोटी से पूरी तरह अलग है. ऐसे में यह फैसला तार्किक लगता है.