Urdu Poetry in Hindi: और कोई नहीं है उस के सिवा, सुख दिए दुख दिए...
Siraj Mahi
Jan 25, 2025
मैं ने माँ का लिबास जब पहना, मुझ को तितली ने अपने रंग दिए
और कोई नहीं है उस के सिवा, सुख दिए दुख दिए उसी ने दिए
उस के प्याले में ज़हर है कि शराब, कैसे मालूम हो बग़ैर पिए
बहुत गहरी है उस की ख़ामुशी भी, मैं अपने क़द को छोटा पा रही हूँ
कोई नहीं है मेरे जैसा चारों ओर, अपने गिर्द इक भीड़ सजा कर तन्हा हूँ
भूल गई हूँ किस से मेरा नाता था, और ये नाता कैसे टूटा भूल गई
रात दरीचे तक आ कर रुक जाती है, बंद आँखों में उस का चेहरा रहता है
मकाँ बनाते हुए छत बहुत ज़रूरी है, बचा के सेहन में लेकिन शजर भी रखना है
पूरी न अधूरी हूँ न कम-तर हूँ न बरतर, इंसान हूँ इंसान के मेआर में देखें
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