नोटिस में आरोप लगाया गया कि कंपनी ने शेयर बाजार के नियमों और लेन-देन के तरीकों का पालन नहीं किया. कंपनी पर बाहरी लोगों से लेन-देन और पिछले साल के ऑडिटरों के सर्टिफिकेट को लेकर सवाल उठाए गए हैं.
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Gautam Adani: देश के अरबपतियों में दूसरे नंबर पर आने वाले गौतम अडानी को फिर से बड़ा झटका लगा है. पिछले साल हिंडनबर्ग रिसर्च की तरफ से लगाए गए शेयरों में छेड़छाड़ के आरोपों के बाद ग्रुप की कंपनियों के शेयर में भारी गिरावट देखी गई थी. अब अडानी ग्रुप की छह कंपनियों को सेबी (SEBI) की तरफ से कारण बताओ नोटिस मिला है. नोटिस में कंपनियों से शेयर बाजार में लिस्टिंग के नियमों का उल्लंघन करने को लेकर सवाल किया गया है. सेबी के अनुसार कंपनियों को रिलेटेड पार्टी ट्रांजेक्शंस के उल्लंघन पर नोटिस भेजा गया है.
ग्रुप की शेयर बाजार में कुल 10 कंपनियां ही लिस्टेड
ग्रुप की कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज (Adani Enterprises) की तरफ से बताया गया कि मार्च 2024 में खत्म हुई तिमाही में सेबी (SEBI) से 2 नोटिस मिले. नोटिस में आरोप लगाया गया कि कंपनी ने शेयर बाजार के नियमों और लेन-देन के तरीकों का पालन नहीं किया. कंपनी पर बाहरी लोगों से लेन-देन और पिछले साल के ऑडिटरों के सर्टिफिकेट को लेकर सवाल उठाए गए हैं. इसके अलावा सेबी ने अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन, अडानी पावर, अडानी एनर्जी सॉल्युशंस, अडानी विल्मर और अडानी टोटल गैस को भी नोटिस इश्यू किया है. आपको बता दें अडानी ग्रुप की शेयर बाजार में कुल 10 कंपनियां ही लिस्टेड हैं.
जांच का असर कंपनियों की वित्तीय रिपोर्ट पर पड़ सकता है
अडानी ग्रुप की कंपनियों का कहना है कि कुछ जानकारों को लगता है कि सेबी (SEBI) के नोटिस का खास असर नहीं पड़ेगा. जबकि कुछ ऑडिटर का कहना है कि अडानी विल्मर (Adani Wilmar) और अडानी टोटल गैस (Adani Total Gas) को छोड़कर चिंता है. उनका मानना है कि सेबी (SEBI) की जांच का असर कंपनी की वित्तीय रिपोर्ट पर पड़ सकता है. अडानी एंटरप्राइजेज के ऑडिटरों का कहना है कि सेबी (SEBI) की जांच चल रही है, अभी नतीजा नहीं आया है. इस पूरे मामले पर नजर रखेंगे और यदि कोई नई जानकारी मिलती है या परिस्थिति में कोई बदलाव आता है तो उसके आधार पर हम अपनी राय का फिर से मूल्यांकन करेंगे.
अडानी पावर (Adani Power) ने साल खत्म होने के बाद SEBI के दोनों नोटिस का जवाब दे दिया है. सेबी का आरोप था कि कंपनी ने कुछ लेन-देन को अपनी वित्तीय रिपोर्ट में दिखाया नहीं था और उन लेन-देन के लिए जरूरी मंजूरी भी नहीं ली गई. अडानी पोर्ट और अडानी सेज ने अपने खुलासे में बताया कि SEBI का आरोप है कि कंपनी ने कुछ करार खत्म करते वक्त जरूरी मंजूरी नहीं ली और न ही लेन-देन के बारे में वित्तीय रिपोर्ट में जानकारी दी.