Azadi Ka Amrit Mahotsav: आजादी के बाद के 75 साल में भारत ने दुनियाभर में अपनी अलग पहचान बनाई है. कभी दुनिया के पिछले देशों में गिना जाने वाला भारत आज दुनिया की तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बन गया है.
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Azadi Ka Amrit Mahotsav: देश को आजाद हुए 75 साल पूरे हो गए हैं. इस बार देशभर में आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है. आजादी की 75वीं वर्षगांठ को सेलिब्रेट करने के लिए खास तैयारियां हैं. 75 साल पहले और आज के भारत में जनसंख्या से लेकर प्रति व्यक्ति आय तक और आर्थिक मोर्चे से लेकर तकनीकी क्षेत्र तक में भारत बहुत आगे निकल गया है.
तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बना भारत
आजादी के समय भारत की पहचान दुनिया के गरीब देश के रूप में थी. लेकिन आज भारतवर्ष दुनिया की तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बन गया है. भारत दुनिया की शीर्ष 3 अर्थव्यवस्था में शामिल होने की तरफ निरंतर अग्रसर है. इतना ही नहीं आजादी के समय से लेकर देश की प्रति व्यक्ति आय में भी बड़ा बदलाव आया है. आइए जानते हैं देश पिछले 75 सालों में आर्थिक मोर्चे पर कितना बदला है?
75 साल में 55 गुना हुई जीडीपी
1947 में आजादी के समय देश की जीडीपी महज 2.7 लाख करोड़ रुपये थी. यह दुनिया की कुल जीडीपी का 3 प्रतिशत से भी कम हिस्सा था. ताजा आंकड़ों के अनुसार इस समय भारत की जीडीपी लगभग 150 लाख करोड़ रुपये है. इससे साफ है पिछले 75 साल में जीडीपी का आकार 55 गुने से भी ज्यादा बढ़ गया है. दुनियाभर की जीडीपी में भारत के हिस्से की बात करें तो यह 9 प्रतिशत है.
10 प्रतिशत के पार निकल जाएगी हिस्सेदारी
अगले दो साल यानी 2024 तक इसका हिस्सा 10 प्रतिशत के पार जाने की उम्मीद है. 75 साल के इस सफर में तीन मौके ऐसे भी आए जब अर्थव्यवस्था की ग्रोथ शून्य से नीचे रही. ये साल थे पहली बार 1965, दूसरी बार 1979 और तीसरी बार 2020 में आई कोरोना महामारी के दौरान. इससे साफ है कि इकोनॉमी की पटरी पर भारत की जीडीपी सरपट दौड़ रही है.
सोने की कीमत ने बनाया कीर्तिमान
जब देश आजाद हुआ था तो उस समय 10 ग्राम सोने की कीमत 90 रुपये थी. लेकिन आज यह 52 हजार रुपये के करीब सफर कर रहा है. एक समय यह 56 हजार के पार रिकॉर्ड स्तर तक भी चला गया था. उस समय भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था.
प्रति व्यक्ति आय
प्रति व्यक्ति आय (Per Capital Income) ही वह आंकड़ा है जिससे किसी भी देश की खुशहाली और उसके विकास का अंदाजा लगाया जाता है. आजादी के बाद 1950-51 में भारत की प्रति व्यक्ति आय 274 रुपये थी. जो कि आज बढ़कर करीब 1.5 लाख रुपये वार्षिक हो गई है. इस आंकड़े में भी भारत ने काफी प्रगति की है.
विदेशी मुद्रा भंडार
किसी भी देश की अर्थव्यवस्था कितनी मजबूत है, यह उसके पास मौजूद विदेशी मुद्रा भंडार से तय होता है. भारत ने इस मामले में भी ग्रोथ दर्ज की है. भारत का विदेशी मुद्रा भंडार इस समय 46 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा हो चुका है. यह दुनिया का पांचवा सबसे बड़ा रिजर्व है. 1950-51 में देश का फॉरेक्स रिजर्व महज 1029 करोड़ रुपये पर था.
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