Adani Group Project: श्रीलंका के राष्ट्रपति दिसानायके ने 21 सितंबर के राष्ट्रपति चुनाव से पहले वादा किया था कि उनकी सरकार इस प्रोजेक्ट को रद्द कर देगी. उनकी पार्टी एनपीपी ने दावा किया है कि यह प्रोजेक्ट श्रीलंका के ऊर्जा क्षेत्र की संप्रभुता के लिए खतरा है.
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Gautam Adani's Project in Sri Lanka: पड़ोसी देश श्रीलंका से भारत के बड़े बिजनेसमैन गौतम अडानी को बड़ा झटका लगा है. दरअसल, अडानी ग्रुप की 440 मिलियन डॉलर की पवन ऊर्जा प्रोजेक्ट को श्रीलंका में रिस्क का सामना करना पड़ रहा है. श्रीलंका सरकार इस प्रोजेक्ट की मंजूरी को लेकर पुनर्विचार कर रही है.
श्रीलंकाई कैबिनेट में 7 अक्टूबर को लिया गया यह निर्णय अडानी के विदेशी सरजमीं पर कंपनी के विस्तार करने के प्रयासों में रुकावट पैदा कर सकती है. रिपोर्ट के मुताबिक, अनुरा कुमारा दिसानायके के नेतृत्व वाली श्रीलंका की नई सरकार बिजली टैरिफ और ऊर्जा संप्रभुता से जुड़े संभावित चिंताओं के कारण इस प्रोजेक्ट की समीक्षा कर रही है.
प्रोजेक्ट को लेकर पुनर्विचार करेगी सरकार
सोमवार को श्रीलंकाई अटॉर्नी जनरल के ऑफिस ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि नई सरकार पहले की सरकार द्वारा दी गई मंजूरी पर पुनर्विचार करेगी. श्रीलंका के विदेश मंत्री विजिता हेराथ के अनुसार, अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड द्वारा मैनेज इस प्रोजेक्ट को अपने मूल्य निर्धारण ढांचे को लेकर समस्याओं का सामना करना पड़ा था.
कैबिनेट बैठक के बाद पत्रकारों से बात करते हुए हेराथ ने इस प्रोजेक्ट के लिए अनुमोदित बिजली टैरिफ पर उठाई गई चिंताओं पर टिप्पणी करते हुए कहा कि सरकार 14 नवंबर को होने वाले संसदीय चुनावों के बाद इस पर नए सिरे से विचार करेगी.
14 नवंबर के बाद होगा फैसला
अटॉर्नी जनरल की ओर से न्यायालय की पांच सदस्यीय पीठ को बताया गया कि परियोजना की समीक्षा करने का निर्णय सात अक्टूबर को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में लिया गया था. अदालत को बताया गया कि नयी सरकार का अंतिम निर्णय 14 नवंबर के संसदीय चुनाव के बाद नये मंत्रिमंडल का गठन होने पर घोषित किया जाएगा.
राष्ट्रपति दिसानायके ने 21 सितंबर के राष्ट्रपति चुनाव से पहले वादा किया था कि उनका नेशनल पीपल्स पावर (एनपीपी) गठबंधन इस परियोजना को रद्द कर देगा. एनपीपी ने दावा किया कि यह परियोजना श्रीलंका के ऊर्जा क्षेत्र की संप्रभुता के लिए खतरा है.
20 साल के लिए हुआ था समझौता
अडानी समूह मन्नार और पूनरी के पूर्वोत्तर क्षेत्रों में 484 मेगावाट पवन ऊर्जा के विकास के लिए 20 साल के समझौते के साथ 44 करोड़ अमेरिकी डॉलर से अधिक निवेश करने वाला था. इस परियोजना को श्रीलंका के उच्चतम न्यायालय में मौलिक अधिकारों के मुकदमे का सामना करना पड़ रहा है.