Biscuit Price Strategy: इस खबर को पढ़ रहे सभी लोग पारले जी बिस्किट की टेस्ट से वाकिफ होंगे. यह बिस्किट दशकों से देश के कोने-कोने में अपनी जगह बनाई हुई है. कंपनी ने 1994 से इस बिस्किट के दाम ही नहीं बढ़ाए. पारले ने कोविड महामारी के बाद 2021 में बिस्किट के दाम में बढ़ोतरी की और दाम 1 रूपये बढ़ाकर 5 रुपये कर दिए. पिछले तीन दशकों में महंगाई बढ़ी लेकिन कंपनी ने बिस्किट के दाम नहीं बढ़ाये. कंपनी फिर भी मुनाफा कमाती रही.
दाम बढ़ाने पर दूर जाते हैं ग्राहक
कंपनी इसलिए भी दाम नहीं बढ़ाती क्योंकि दाम बढ़ने पर ग्राहक दूसरे प्रोडक्ट की ओर चले जाते हैं. 1994 में इस बिस्किट के दाम 4 रुपये हुआ करते थे. लगभग 30 सालों तक दाम एक ही रखने के पीछे कंपनी खास रणनीति बनाती है. जिससे ग्राहक प्रोडक्ट से दूर ना हो. कंपनी ने कोविड के बाद यानी 2021 में प्रोडक्ट के दाम बढ़ाए.
कंपनी कैसे कमाती है मुनाफा?
कंपनी अपने मार्जिन को बनाए रखने के लिए वजन कम करती है. पहले पैकेट 100 ग्राम का आता था. फिर उस प्रोडक्ट का दाम 92.5 ग्राम कर दिया. पिछले कुछ सालों में महंगाई बढ़ी तो कंपनी ने वजन भी लगभग आधा कर दिया. फिलहाल पारले जी 55 ग्राम में आ रहा है.
इस तकनीक का क्या नाम ?
इस तकनीक को ग्रेसफुल डिग्रेडेशन कहते है. एफएमसीजी कंपनियां इस तकनीक को अपनाती है. इस तकनीक में दाम नहीं बढ़ाए जाते बल्कि प्रोडक्ट का वजन कम कर दिया जाता है. धीरे धीरे ग्राहक को इसकी आदत पड़ जाती है.