टॉयलेट के चलते स्लीपर वंदे भारत ट्रेन पर ब्रेक...रेलवे की डिमांड से डिजाइन पर फंसा पेंच, कंपनी बोली-बढेगा खर्चा, होगी देर
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टॉयलेट के चलते स्लीपर वंदे भारत ट्रेन पर ब्रेक...रेलवे की डिमांड से डिजाइन पर फंसा पेंच, कंपनी बोली-बढेगा खर्चा, होगी देर

Vande Bharat Train: पांच साल पहले रेलवे ने वंदे भारत एक्सप्रेस की शुरुआत की थी. सेमी सुपरफास्ट वंदे भारत ट्रेनें आते ही पटरियों पर छा गई. कम समय में लोगों को अपनी मंजिल तक पहुंचाने वाली वंदे भारत ट्रेनों का क्रेज बढ़ा, राज्यों की ओर से डिमांड बढ़ने लगी.

 टॉयलेट के चलते स्लीपर वंदे भारत ट्रेन पर ब्रेक...रेलवे की डिमांड से डिजाइन पर फंसा पेंच, कंपनी बोली-बढेगा खर्चा, होगी देर

Sleeper Vande Bharat Train: पांच साल पहले रेलवे ने वंदे भारत एक्सप्रेस की शुरुआत की थी. सेमी सुपरफास्ट वंदे भारत ट्रेनें आते ही पटरियों पर छा गई. कम समय में लोगों को अपनी मंजिल तक पहुंचाने वाली वंदे भारत ट्रेनों का क्रेज बढ़ा, राज्यों की ओर से डिमांड बढ़ने लगी. वंदे भारत चेयर कार के बाद रेलवे ने वंदे भारत स्लीपर ट्रेनों का ऐलान कर दिया. लोगों को वंदे भारत के स्लीपर वर्जन बेसब्री से इंतजार है. माना जा रहा था कि इसी साल दिसंबर में इसका ट्रायल रन होना है और अगले साल से ट्रेन पटरी पर दौड़ने लगेगी, लेकिन अब इसमें देरी हो सकती है. 

वंदे भारत स्लीपर ट्रेन में देरी  

वंदे भारत स्लीपर ट्रेन में देरी हो सकती है. दरअसल डिजाइन को लेकर रेलवे और रूस की कंपनी TMH के बीच विवाद हो गया है. रेलवे वंदे भारत के फाइनल डिजाइन में कुछ बदलाव चाहती है. वहीं इसे बनाने वाली कंपनी का कहना है कि ऐसा करने से लागत बढ़ सकता है और प्रोजेक्ट पूरा करने में देरी हो सकती है.  

टॉयलेट में फंस गया विवाद  

 रूस की कंपनी TMH और रेलवे के बीच वंदे भारत स्लीपर ट्रेनों के लिए 55,000 करोड़ रुपये का करार हुआ था, लेकिन डील फाइनल होने के 14 महीने बाद भी वंदे भारत ट्रेन के स्लीपर कोच वर्जन का डिजाइन फाइनल नहीं हो पाया है. दरअसल रेलवे वंदे भारत स्लीपर ट्रेन के हर कोच में अतिरक्त टॉयलेट , हर ट्रेन सेट में एक पैंट्री कार और हर कोच में सामान रखने की जगह की जरूरत चाहता है.  

कहां फंसा पेंच 

 TMH के सीईओ किरिल लिपा का कहना है कि डिजाइन में बदलाव के चलते कोच का पूरा लेआउट प्रभावित होगा. कोच की खिड़कियों, सीटों और अन्य डिजाइनों को दोबारा बनाना होगा. इसमें अधिक समय बी लगेगा और लागत भी. वहीं रेलवे की दलील है कि डिजाइन में तकनीकी बदलाव डील अनुबंध के तहत किए जाने की मांग की जा रही है. 
 
कब तक आएगी ट्रेन  
 TMH का कहना है कि अगर भारतीय रेलवे इस विवाद को जल्द नहीं सुलझाता है तो प्रोजेक्ट में देरी बढ़ती रहेगी. उन्होंने कहा कि हम जल्दी से जल्दी प्रॉडक्शन शुरू करना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि अगर सब ठीक रहा तो  वंदे भारत के स्लीपर वर्जन का प्रोटोटाइप अगले साल की दूसरी तिमाही में आ पाएगा.  

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