6 राज्यों में बिजनेस, 59 साल से डेयरी कारोबार...कहानी उस कंपनी की जिसे मिला तिरूपति मंदिर को घी सप्लाई करने का टेंडर
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6 राज्यों में बिजनेस, 59 साल से डेयरी कारोबार...कहानी उस कंपनी की जिसे मिला तिरूपति मंदिर को घी सप्लाई करने का टेंडर

Tirupati Laddu: 'नंदिनी' ब्रांड का स्वामित्व कर्नाटक सहकारी दुग्ध उत्पादक संघ लिमिटेड (KMF) के पास है, जो गुजरात के अमूल के बाद भारत की दूसरी सबसे बड़ी डेयरी सहकारी संस्था है.

6 राज्यों में बिजनेस, 59 साल से डेयरी कारोबार...कहानी उस कंपनी की जिसे मिला तिरूपति मंदिर को घी सप्लाई करने का टेंडर

Nandini new ghee supplier: तिरुपति मंदिर के लड्डुओं के घी में कथित रूप से पशुओं की चर्बी मिलने के दावों के बीच आंध्र प्रदेश सरकार ने नंदिनी कंपनी को घी सप्लाई करने का टेंडर दिया है. कर्नाटक कोऑपरेटिव मिल्क प्रोड्यूसर्स फेडरेशन लिमिटेड द्वारा मैनेज्ड 'नंदिनी' दक्षिण भारत में एक प्रमुख डेयरी ब्रांड है. नंदिनी की स्थापना 1955 में हुई थी.

दक्षिण भारत में नंदिनी, उत्तर भारत में अमूल और मदर डेयरी उत्पादों की लोकप्रियता के समान भारत में एक प्रसिद्ध ब्रांड है. यह कर्नाटक का सबसे बड़ा दूध ब्रांड है और इसे आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, केरल, महाराष्ट्र और गोवा जैसे पड़ोसी राज्यों में भी मान्यता प्राप्त है. 'नंदिनी' ब्रांड का स्वामित्व कर्नाटक सहकारी दुग्ध उत्पादक संघ लिमिटेड (KMF) के पास है, जो गुजरात के अमूल के बाद भारत की दूसरी सबसे बड़ी डेयरी सहकारी संस्था है.

1955 से डेयरी कारोबार में KMF

साल 1955 में पहली डेयरी सहकारी समिति केएमएफ की स्थापना कर्नाटक के कोडागु जिले में की गई थी. उस समय पैकेज्ड दूध की व्यवस्था नहीं थी और किसान सीधे घरों तक दूध पहुंचाते थे. इसके अलावा उस समय दूध की भी कमी हो गई थी. बाद में 1970 के दशक में श्वेत क्रांति के बाद देश में दूध की कमी खत्म हुई.

40 साल से पैकेज्ड दूध बेच रही नंदिनी

 

1974 में कर्नाटक सरकार ने इन डेयरी परियोजनाओं को लागू करने के लिए कर्नाटक डेयरी विकास निगम (KDCC) बनाया. 1984 तक केडीसीसी का नाम बदलकर कर्नाटक मिल्क फेडरेशन कर दिया गया, और इसने 'नंदिनी' ब्रांड नाम के तहत पैकेज्ड दूध और अन्य उत्पाद बेचना शुरू कर दिया. समय के साथ, 'नंदिनी' कर्नाटक का सबसे लोकप्रिय डेयरी ब्रांड बन गया और पड़ोसी राज्यों तक फैल गया.

केएमएफ पूरे कर्नाटक में 15 डेयरी यूनियन संचालित करता है जिसमें बेंगलुरु, कोलार और मैसूर सहकारी दुग्ध संघ शामिल हैं. ये यूनियन ग्राम-स्तरीय डेयरी सहकारी समितियों (डीसीएस) से दूध खरीदते हैं और इसे प्रोसेसिंग के लिए केएमएफ तक पहुंचाते हैं. कर्नाटक मिल्क फेडरेशन की वेबसाइट के मुताबिक, केएमएफ 24,000 गांवों के 26 लाख किसानों से रोजाना 86 लाख किलो से ज्यादा दूध खरीदता है.

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