Mahakumbh 2025: बिहार के रूपेश कुमार झा अपने गुरुकुल के शिष्यों के साथ महाकुंभ मेले में स्नान करने पहुंचे हैं. वह 7 बार यूजीसी नेट परीक्षा पास कर चुके हैं. लेकिन उन्होंने बाद में आचार्य बनने का फैसला किया, जिसके लिए उन्होंने तीन सरकारी नौकरियां भी छोड़ दी.
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Mahakumbh 2025: बिहार के मिथिला क्षेत्र से ताल्लुक रखने वाले रूपेश कुमार झा, इन दिनों महाकुंभ मेला 2025 में अपने शिष्यों के साथ पहुंचे हैं. उनकी कहानी हर किसी को प्रेरित कर रही है. उन्होंने UGC NET परीक्षा सात बार पास की है और JRF (जूनियर रिसर्च फेलोशिप) भी दो बार क्वालिफाई किया है. इसके बाद उन्होंने तीन सरकारी नौकरियां छोड़कर आचार्य बनने का फैसला किया.
रूपेश अब मधुबनी जिले के सरस उपाही गांव में लक्ष्मीपति गुरुकुल चलाते हैं, जहां करीब 125 बच्चे संस्कृत की पढ़ाई कर रहे हैं. उनका सपना है कि वे बिहार में 108 गुरुकुल खोलें और सनातन धर्म को आगे बढ़ाएं.
दिल्ली यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की, फिर चुनी गुरुकुल की राह
आचार्य रूपेश कुमार ने अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई दिल्ली यूनिवर्सिटी के किरोरी मल कॉलेज से की. इसके बाद उन्होंने ब्रह्मचर्य आश्रम के गुरुकुल में शिक्षा ली.
रूपेश कुमार का कहना है कि वे सिर्फ सरकारी नौकरी के पीछे नहीं भागे. उन्होंने बताया, "मैंने तीन बार सरकारी नौकरी पाई, लेकिन मुझे लगा कि असली ज्ञान तो सनातन धर्म और संस्कृत में है. इसलिए मैंने सब कुछ छोड़कर गुरुकुल खोलने का फैसला किया."
वे बच्चों को संस्कृत पढ़ाने में जुटे हैं और उनका कहना है कि अब कई बच्चों ने इंग्लिश मीडियम के स्कूल छोड़कर उनके गुरुकुल में दाखिला लिया है.
महाकुंभ में शिष्यों के साथ पहुंचे आचार्य रूपेश
रूपेश कुमार झा इस साल महाकुंभ मेला 2025 में अपने गुरुकुल के बच्चों के साथ स्नान करने पहुंचे हैं. यह मेला 13 जनवरी से शुरू हुआ है और 26 फरवरी तक प्रयागराज में चलेगा.
कुंभ मेला दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन माना जाता है. यहां साधु-संत, महात्मा, साध्वियां और तीर्थयात्री दूर-दूर से आते हैं. यह मेला गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों के संगम पर होता है, जिसे त्रिवेणी संगम कहा जाता है.
हर 144 साल में होता है महाकुंभ मेला
हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, कुंभ मेला वह पवित्र अवसर है जब देवता धरती पर उतरकर भक्तों को आशीर्वाद देते हैं. कुंभ मेला हर चार साल में हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और नासिक में होता है.
हालांकि, महाकुंभ का आयोजन हर 144 साल में होता है, जब ग्रह-नक्षत्रों की खास स्थिति बनती है. इस साल का महाकुंभ मेला धार्मिक दृष्टि से बेहद खास माना जा रहा है. आचार्य रूपेश का कहना है कि उनका उद्देश्य है कि सनातन धर्म और संस्कृत को नई पीढ़ी तक पहुंचाया जाए. वे मानते हैं कि गुरुकुल शिक्षा पद्धति से बच्चों को बेहतर संस्कार और ज्ञान मिलता है.