Rahul On Lok Sabha Election Result 2024: लोकसभा चुनाव के नतीजों की तस्वीर अब साफ हो चुकी है. एनडीए बहुमत के 272 के आंकड़े से ऊपर चल रही है और इंडिया अलायंस 234 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है. इस चुनाव में दोनों ही दलों के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिली.
Trending Photos
Rahul On Lok Sabha Election Result 2024: लोकसभा चुनाव के नतीजों की तस्वीर अब साफ हो चुकी है. एनडीए बहुमत के 272 के आंकड़े से ऊपर चल रही है और इंडिया अलायंस 234 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है. इस चुनाव में दोनों ही दलों के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिली. नतीजों की तस्वीर साफ होने के बाद इंडिया अलायंस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि इस चुनाव में संविधान की जीत हुई है. अब सवाल यह है कि बहुमत के आंकड़ों से कुछ सीटों के फासले को इंडिया अलायंस दूर करने की कोशिश कैसे करेगा? इस सवाला का राहुल गांदी ने बेझिझक जवाब दिया है. आइये जानते हैं राहुल गांधी ने क्या कहा..
इंडिया अलायंस का अगला कदम क्या होगा?
राहुल गांधी से जब पूछा गया कि इंडिया अलायंस सरकार बनाने के लिए अपने पुराने साथी दलों से बात करेगा? राहुल गांधी ने जवाब में कहा कि कल बुधवार को इंडिया अलायंस की बैठक होगी. बैठक में सहयोगी दलों का जो मत होगा उसपर अमल किया जाएगा. जनता के हित के लिए इंडिया अलायंस सबकुछ करने के लिए तैयार है.
इंडिया अलायंस एनडीए खेमे में लगाएगी सेंध?
बता दें कि चुनाव के नतीजे सामने आने के बाद चर्चाओं का बाजार गरम है कि इंडिया अलायंस बिहार के मुख्यमंत्री और जेडीयू प्रमुख नीतीश कुमार, आंध्र प्रदेश में टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू और चिराग पासवान से संपर्क करने की कोशिशों में है. एनडीए और इंडिया अलायंस दोनों को ही सहयोगी दल को साथ लेकर चलना होगा. एनडीए को सत्ता में तभी रहेगी जब उसके सहयोगी दल उसके साथ रहेंगे.
भाजपा के लिए टेंशन वाली बात
नीतीश कुमार, चंद्रबाबू नायडू और चिराग पासवान की बात करें तो इन तीनों के ही दलों को लोकसभा चुनाव में कुल मिलाकर लगभग 35 सीटें मिलती दिख रही हैं. ये आंकड़ा सरकार बनाने के लिए एनडीए और इंडिया अलायंस के लिए बेहद महत्वपूर्ण है. यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि इंडिया अलायंस के गठन के वक्त नीतीश कुमार विपक्ष की अगुवाई कर रहे थे. कुछ दिनों बाद उन्होंने एनडीए में जाने का फैसला लिया था. वहीं, चंद्रबाबू नायडू की बात करें तो वे भले ही इस वक्त एनडीए में हैं लेकिन पुराने दिनों में उनके कांग्रेस से बेहद अच्छे संबंध थे. ऐसे में सियासी जोड़-तोड़ की चर्चा तो होना तय ही था.