आखिर काले रंग के ही क्यों होते हैं टायर? जानें क्यों नहीं बदला जाता इनका रंग
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आखिर काले रंग के ही क्यों होते हैं टायर? जानें क्यों नहीं बदला जाता इनका रंग

Colour of Tyre: सादा रबर का टायर केवल 8 हजार किलोमीटर चल सकता है, वहीं कार्बनयुक्त रबर से बना टायर करीब 1 लाख किलोमीटर तक चलने में सक्षम होता है.

आखिर काले रंग के ही क्यों होते हैं टायर? जानें क्यों नहीं बदला जाता इनका रंग

Colour of Tire: दुनिया में कई तरह के रंग हैं. कई लोगों को रंग बिरंगी चीजें काफी पसंद होती हैं. लेकिन आपने देखा होगा कि सड़क पर तमाम रंगों की गाड़ियां मिलती हैं, लेकिन सभी गाडियों के टायर केवल काले रंग के ही होते हैं. आपके मन में भी बात जरूर आई होगी कि आखिर गाड़ियों के रंग के ही टायर क्यों नहीं बनाए जाते? आखिर सभी टायरों का रंग काला ही क्यों होता है? अगर आप इन सवालों के जवाब नहीं जानते तो आइये आज हम आपके इसके पीछे की वजह बताते हैं.

मीडिया रिपॉर्ट्स के मुताबिक, पहले रबर (Rubber) से टायर बनाए जाते थे, लेकिन आपको पता ही होगा कि रबर का प्राकृतिक रंग काला नहीं होता है. वहीं, रबर से बने टायर भी काफी जल्दी घिस जाते थे. यह एक बड़ी समस्या बन गई थी, जिसके बाद वैज्ञानिकों ने रिसर्च की तो पाया कि अगर रबर में कार्बन और सल्फर मिला दिया जाए तो टायर पहले के मुकाबले काफी मजबूत हो जाएंगे और लंबे समय तक चलेंगे. 

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आप जानते ही होंगे की कच्ची रबर का रंग हल्का पीला होता है. टायर बनाने के लिए रबर में कार्बन मिलाया जाता है और इसी वजह से टायर जल्दी नहीं घिसता है. आपको मालूम होगा कि कार्बन का रंग काला होता है. इसीलिए जब रबर में कार्बन मिलाया जाता है तो रबर भी काली हो जाती है. इससे टायर अल्ट्रा वॉयलेट किरणों से भी बच जाता है. 

रिपोर्ट के अनुसार, सादा रबर का टायर केवल 8 हजार किलोमीटर चल सकता है, वहीं कार्बनयुक्त रबर से बना टायर करीब 1 लाख किलोमीटर तक चलने में सक्षम होता है. गौरतलब है कि रबर में मिलाए जाने वाले कार्बन की भी कई श्रेणियां होती हैं. कार्बन की श्रेणी पर ही निर्भर करता है कि रबर कितनी मजबूत होगी.

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