Meena Kumari And Saawan Kumar: पिछले महीने निर्माता-निर्देशक-गीतकार सावन कुमार टाक का निधन हो गया था. शुरुआत तो उन्होंने फिल्म निर्माता के रूप में की थी, मगर मीना कुमारी के कहने पर निर्देशक बने और फिर एक संयोग ने ही उन्हें गीतकार बना दिया.
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Saawan Kumar Tak Songs: फिल्म इंडस्ट्री में कई बातें सोच-समझ कर नहीं होतीं. बीती 25 अगस्त को गुजरे निर्माता-निर्देशक-गीतकार सावन कुमार टाक ने प्रोड्यूसर के रूप में फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखा था. फिल्म थी, नौनिहाल (1967). दूसरी फिल्म, गोमती के किनारे (1972) के निर्माण के लिए वह मीना कुमारी (Meena Kumari) से कहानी लेकर मिले. कहानी सुनकर एक्ट्रेस ने कहा कि इसे तुम ही डायरेक्ट करो. सावन कुमार निर्देशक बन गए. तीसरी फिल्म में सावन कुमार टाक गीतकार बन गए और इसकी वजह एक रोचक घटना बनी. हुआ यह कि गोमती के किनारे फ्लॉप हो चुकी थी मगर सावन कुमार अगली फिल्म हवस (1974) के निर्माण में गए थे. वह अपने पसंदीदा गीतकार मजरूह सुल्तानपुरी (Majrooh Sultanpuri) के पास फिल्म के गाने लिखवाने के लिए पहुंचे.
कम पर नहीं माने मजरूह
दोनों ने फिल्म पर लंबी चर्चा की, गाने कैसे होंगे इस पर बात की. साथ में लंच किया. फिर बात आई पैसों की. मजरूह ने गाने लिखने के लिए जो फीस बताई, सावन कुमार को वह बहुत अधिक लगी. उन्होंने कहा कि गोमती के किनारे फ्लॉप होने के बाद वह मजरूह को उनकी मुंहमांगी रकम नहीं दे सकते. कुछ कम करें. मजरूह अड़े रहे तो आखिर में सावन कुमार टाक यह कहते हुए उनके पास से उठे कि ‘तेरी गलियों में ना रखेंगे कदम आज के बाद.’ नाराजगी में जब वह वापस लौटे तो ऊषा खन्ना से मुलाकात हुई. सावन कुमार फिल्म के लिए उन्हें म्यूजिक डायरेक्टर के रूप में साइन कर चुके थे. उन्होंने ऊषा खन्ना को बताया कि मजरूह के साथ क्या बात हुई और अंत में वह क्या कह कर वहां से निकले.
बनी धुन और गीत हुआ हिट
उषा खन्ना (Usha Khanna) ने तुरंत उस लाइन को पकड़ लिया और एक धुन में पिरो दिया. उन्होंने सावन कुमार से कहा कि यह गीत बन सकता है और सावन कुमार ने लाइने बढ़ाते हुए कहानी के अनुसार गीत लिख दिया. यहां से उनके गीतकार बनने का सफर शुरू हो गया. फिर उन्होंने न केवल हवस के सारे गाने लिखे, बल्कि इसके बाद जितनी भी फिल्में बनाईं सबके गाने उन्होंने ही लिखे. तेरी गलियों में... को फिल्म में मोहम्मद रफी ने गया और यह जबर्दस्त हिट हुआ. देश-विदेश में वह जहां जाते, उनसे इस गाने की फरमाइश की जाती. सावन कुमार के लिखे ‘शायद मेरी शादी का खयाल’ और ‘जिंदगी प्यार का गीत है...’ जैसे गाने आज भी खूब सुने जाते हैं. उषा खन्ना हमेशा उनकी फिल्मों की संगीतकार रही. दोनों ने विवाह किया, मगर वह सात वर्ष ही चला. उषा खन्ना ने हाल में अपने इंटरव्यू में कहा कि सावनजी की बहुत सारी गर्लफ्रेंड्स थीं, बहुत सारे रिश्ते थे. ऐसे में पत्नी के रूप में मैं कब तक रिश्ता चला सकती थी. हमने अलग हो जाने का फैसला किया.
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