Sridevi Birthday: आज श्रीदेवी जीवित होतीं तो अपना 60वां जन्मदिन मना रही होतीं. चाइल्ड आर्टिस्ट के रूप में तमिल फिल्मों से करियर शुरू करने वाली श्रीदेवी के बारे में एक दौर में बॉलीवुड में कहा जाता था कि तमाम हीरोइनों के बीच वह हीरो हैं. लेकिन यहां उनकी शुरुआत बेहद निराशाजनक थी. डेब्यू फिल्म सोलवां सावन बुरी तरह फ्लॉप हुई थी.
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Sridevi Films: श्रीदेवी के लिए डेब्यू हिंदी फिल्म, सोलवां सावन (1979) बुरा अनुभव थी. अव्वल तो वह इसमें काम नहीं करना चाहती थीं. कारण यह कि इससे पहले फिल्म के तमिल और तेलुगु वर्जन कर चुकी थीं. अतः उनके लिए कुछ नया नहीं था. सोलवां सावन तमिल फिल्म 16 वयाथिनिले (1977) की रीमेक थी. जिसमें श्रीदेवी, रजनीकांत (Rajinikant) और कमल हासन (Kamal Haasan) थे. फिर यह फिल्म तेलुगु में बनी. श्रीदेवी हिंदी के लिए नॉर्थ इंडिया आने को तैयार नहीं थीं. लेकिन डायरेक्टर भारतीराजा ने उन्हें किसी तरह मनाया. एक और बड़ी समस्या यह थी कि श्रीदेवी को नहीं आती थी.
हो गया अपशकुन
खैर, जब सोलवां सावन के लिए श्रीदेवी ने पहला टेक दिया, तो वह गड़बड़ हो गया. श्रीदेवी ने इसे अपशकुन के रूप में लिया. उन्हें विश्वास हो गया कि फिल्म फ्लॉप हो जाएगी. वह इस बात से खुश थीं क्योंकि जानती थी कि फिल्म फ्लॉप हो गई तो वह मद्रास लौट जाएंगी और फिर कभी बंबई नहीं आना पड़ेगा. हिंदी में क्या सीन हैं और क्या डायलॉग बोले जा रहे हैं, उन्हें कुछ पता नहीं चलता थीं. श्रीदेवी की योजना उस समय थी कि कुछ और साल काम करेंगी. फिर शादी करके घर बसा लेंगी. लेकिन नियति को कुछ और मंजूर था. सोलवां सावन रिलीज होकर बुरी तरह फ्लॉप रही और श्रीदेवी वापस साउथ फिल्मों में लौट गईं.
पहली और आखिरी बार
सोलवां सावन ऐसी लड़की की कहानी थी, जो अपने गांव में आए डॉक्टर के प्यार में पड़ जाती है. उससे शादी करने का सपना देखते हुए अपना टीचर बनने का सपना भूल जाती है. मगर वह डॉक्टर वापस चला जाता है. इस बीच लड़की का एक मंदबुद्धि चचेरा भाई है, जो उससे मन ही मन प्यार करता है. वह उस गांव के युवक की हत्या कर देता है, जो लड़की पर बुरी नजर रखता है. चचेरे भाई को भी जेल हो जाती है. इस रोल में अमोल पालेकर (Amol Palekar) थे. सोलवां सावन की प्रेस-कॉन्फ्रेंस और प्रमोशन में अमोल पालेकर ही मीडिया से बात करते थे क्योंकि श्रीदेवी को हिंदी नहीं आती थीं और अंग्रेजी में भी हाथ तंग था. श्रीदेवी और अमोल पालेकर ने इस फिल्म के बाद कभी साथ काम नहीं किया.
ऐसे मिला यू-टर्न
श्रीदेवी हिंदी में फ्लॉप होकर खुश थीं और कभी लौटना चाहती थीं. हिंदी के लोग उन्हें भूल गए थे. मगर चार साल बाद 1983 में श्रीदेवी ने फिल्म हिम्मतवाला से कमबैक किया. जितेंद्र (Jitendra) के साथ. हुआ यह कि जितेंद्र एक दिन हिम्मतवाला का साउथ वर्जन देख रहे थे. जिसमें जयाप्रदा (Jaya Prada) थीं. उन दिनों जितेंद्र साउथ की एक फिल्म रेखा के साथ कर रहे थे. रेखा ने उन्हें सलाह दी कि हिंदी वर्जन में श्रीदेवी को लें. जीतेंद्र ने निर्देशक के. राघवेंद्र राव से फिल्म में श्रीदेवी को कास्ट करने को कहा. पद्मालया स्टूडियो ने उन दिनों श्रीदेवी को अपनी एक तेलुगु फिल्म के लिए साइन किया था, जो बंद हो गई. स्टूडियो के पास श्रीदेवी की डेट्स थीं, तो उन्होंने हिम्मतवाला के लिए उन्हीं डेट्स का इस्तेमाल करने का फैसला किया. हिम्मतवाला ने श्रीदेवी को इतनी मजबूती से जमाया कि आगे की सब बातें इतिहास में दर्ज हो गईं.