Parole And Furlough: डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम एक बार फिर जेल से बाहर आया है. उसकी तीन सप्ताह की फरलो सोमवार को मंजूर कर दी गई. राम रहीम ने अस्थायी रिहाई के लिए आवेदन किया था.
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Difference Between Parole and Furlough: अपनी दो शिष्याओं से बलात्कार के अपराध में 20 साल जेल की सजा भुगत रहे डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह की तीन सप्ताह की फरलो सोमवार को मंजूर कर दी गई. पीटीआई भाषा के मुताबिक सूत्रों ने बताया कि राम रहीम 21 दिनों की अस्थायी रिहाई अवधि के दौरान उत्तर प्रदेश में बागपत के बरनावा में डेरा सच्चा सौदा आश्रम जाएगा. राम रहीम ने अस्थायी रिहाई के लिए आवेदन किया था. डेरा प्रमुख हरियाणा के रोहतक जिले की सुनारिया जेल में बंद है. आज हम आपको बताएंगे कि पैरौल और फरलो क्या होती है जिसके जरिए कैदी जेल से बाहर आ सकता है.
बार-बार जेल से बाहर आया राम रहीम
यह पहली बार नहीं है कि राम रहीम जेल से बाहर आया है. पीटीआई भाषा के मुताबिक इससे पहले, राम रहीम 30 जुलाई को 30 दिन की पैरोल पर सुनारिया जेल से बाहर आया था. डेरा प्रमुख को जनवरी में 40 दिन की पैरोल दी गई थी. उसकी पिछले साल अक्टूबर में भी 40 दिन की पैरोल मंजूर की गई थी. पिछले साल जून में एक महीने की पैरोल पर वह जेल से बाहर आया था. इसके अलावा सात फरवरी, 2022 से उसकी तीन सप्ताह की फरलो मंजूर की गई थी.
हत्या के मामले में भी दोषी है राम रहीम
पीटीआई भाषा के मुताबिक राम रहीम को चार अन्य लोगों के साथ मिलकर डेरा प्रबंधक रणजीत सिंह की हत्या की साजिश रचने का भी 2021 में दोषी ठहराया गया था. डेरा प्रमुख और तीन अन्य को 16 साल से अधिक समय पहले एक पत्रकार की हत्या का भी 2019 में दोषी ठहराया गया था.
आखिर यह पैरोल या फरलो क्या हैं ?
LiveLaw.in के एक यू-ट्यूब वीडियो के मुताबिक पैरोल किसी भी कैदी, सजा पा चुके शख्स या विचारधीन को मिल सकता है. इसकी कुछ जरूरी शर्तें होती हैं. किसी भी कैदी को सजा का एक हिस्सा पूरा करने के बाद और उस दौरान उसके अच्छे व्यवहार को देखते हुए पैरोल दी जा सकती है.
कैदी की मानसिक स्थिति बिगड़ने पर, कैदी के परिवार में अनहोनी होने पर, नजदीकी परिवार में किसी की शादी होने पर पैरोल दी जा सकती है. कई बार कुछ जरूरी कामों को निपटाने के लिए कैदी को पैरोल पर निश्चित अवधि के लिए जेल से छोड़ा जाता है. विशेष हालात होने पर जेल अधिकारी ही सात दिन तक की पैरोल अर्जी को मंजूर कर सकते हैं.
किन अपराधियों को पैरोल नहीं दी जा सकती?
वीडियो के मुताबिक कारागार अधिनियम 1894 के तहत पैरोल दी जाती है. हालांकि किसी कैदी को पैरोल से इनकार भी किया जा सकता है. पैरोल को मंजूरी देने वाला अधिकारी यह कहते हुए मना कर सकता है कि कैदी को रिहा करना समाज के हित में नहीं होगा.
आमतौर पर पैरोल मौत की साज पाए दोषी, आतंकवाद के दोषी या फिर जेल से रिहा होने पर भागने की संभावना वाले कैदी को नहीं दी जाती है. अनलॉफुल एक्टिविटि प्रिवेंशन एक्ट के तहत सजा काट रहे अपारधियों को भी पैरोल नहीं दी जाती है.
पैरोल के लिए अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग नियम है.
पैरोल के दौरान किन शर्तों का पालन करना होता है: -
जो कैदी पैरोल पर रिहा होता है उसे कुछ शर्तों का पालन करना जरूरी होता है. रिहाई के दौरान कैदी को नजदीकी थाने या बताए गए अधिकारी के समक्ष समय-समय पर हाजिरी भी देनी होती है.
पैरोल के दो मकसद है कैदी को अपने परिवार और समाज से जुड़े कुछ जरूरी काम निपटाने का मौका मिलता है. दूसरा इसे अपराधियों में सुधार लाने की प्रक्रिया के लिए भी काफी अहम माना जाता है.
फरलो क्या होती है?
LiveLaw.in के वीडियो के मुताबिक फरलो का मतलब कैदियों को जेल से मिलने वाली एक छूट होती है. यह व्यक्तिगत, पारिवारिक या सामाजिक जिम्मेदारियां पूरी करने के लिए दी जाती है. फरलो के लिए कैदी को कारण बताना जरूरी नहीं होता है. इसे कैदियों का अधिकार माना जाता है. जेल की रिपोर्ट की आधार पर सरकार इसे मंजूर या नामंजूर करती है. एक साल में एक कैदी तीन बार फरलो ले सकता है. जेल स्टेट सब्जेक्ट है इसलिए फरलो को लेकर अलग-अलग राज्य में अलग-अलग कानून हैं.