Hemant Soren: इस एफआईआर के साथ ही हेमंत सोरेन और ईडी का मामला अब आगे बढ़ गया है. इसको ऐसे समझिए कि हेमंत सोरेन (Hemant Soren) ने पलटवार किया है. यहां यह भी जान लेना अनिवार्य है कि क्या उनके एफआईआर के बाद ईडी अधिकारियों को अरेस्ट किया जाएगा या कोई और हल निकलेगा.
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Jharkhand News FIR On ईडी SC ST Act: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अपने सियासी पैंतरों के चलते जबरदस्त चर्चा में बने हुए हैं. मनी लॉन्ड्रिंग केस में पहले वे ईडी (ED) अधिकारियों की पकड़ से बाहर रहे और फिर जब पूछताछ हुई तो उन्होंने एक नया दांव चलते हुए ईडी अधिकारियों पर SC-ST थाने में एफआईआर दर्ज करवा दी है. अपनी शिकायत में उन्होंने बकायदा कुछ अधिकारियों के नाम भी लिखें हैं और आरोप लगाया है कि उन्हें और उनके समुदाय को बदनाम करने की कोशिश की गई है. अब यह मामला और ज्यादा बढ़ हो गया है. पहले तो यहां पूरा मामला समझते हुए SC-ST एक्ट के बारे में जानेंगे. फिर यह भी समझते हैं कि क्या ईडी के अधिकारी अरेस्ट हो सकते हैं.
असल में यह तो तय है कि इस दांव से हेमंत सोरेन ने केंद्रीय जांच एजेंसी पर सीधा पलटवार किया है और उन्होंने अपना पक्ष साफ कर दिया है कि इस मामले में वे झुकने वाले नहीं है. अब आगे क्या-क्या विकल्प उनके पास खुले हैं और ईडी के अधिकारी क्या कर सकते हैं. क्योंकि रांची में सीएम आवास के आसपास हलचल अचानक तेज हो गई है.
एफआईआर में हेमंत सोरेन के आरोप क्या हैं?
हेमंत सोरेन ने ईडी अधिकारियों के नामों का जिक्र करते हुए आरोप लगाया कि कपिल राज, देवव्रत झा, अनुपम कुमार, अमन पटेल और अन्य ने मुझे प्रताड़ित करने, मेरे समुदाय को बदनाम करने की कोशिश की है. इन अधिकारियों ने नई दिल्ली स्थित झारखंड भवन और शांति निकेतन में सर्च ऑपरेशन किए हैं. उन्होंने यह भी लिखा कि उनके आदिवासी समुदाय से होने के चलते स्थानीय मीडिया में उनके खिलाफ कार्रवाई की कवरेज 'डिजाइन' की गई है. अपनी शिकायत उन्होंने रांची स्थित एससी-एसटी पुलिस स्टेशन में भेज दी है. यह पूरी शिकायत एसएसटी एक्ट के तहत की गई है.
क्या है एसएसटी एक्ट?
भारतीय कानून में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम, 1989 एक कानून है जो अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों के साथ भेदभाव और उत्पीड़न के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करता है. इस कानून के तहत, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों के साथ जातिसूचक शब्दों का प्रयोग करना, उन्हें प्रताड़ित करना, या उनके साथ अन्याय करना अपराध है. इस कानून के तहत अपराध करने वाले व्यक्ति को जेल और जुर्माना दोनों हो सकता है. भेदभाव और अत्याचार को रोकने के लिए संसद द्वारा इसको लाया गया था.
क्या अरेस्ट होंगे ईडी के अधिकारी?
चूंकि इस मामले में हेमंत सोरेन ने आरोप लगाया है कि ईडी के अधिकारी उन्हें आदिवासी होने के कारण प्रताड़ित कर रहे हैं. अगर सोरेन के आरोप सही साबित होते हैं, तो ईडी के अधिकारियों के खिलाफ केस दर्ज किया जा सकता है. लेकिन SC-ST एक्ट के तहत गिरफ्तारी के लिए यह जरूरी है कि शिकायतकर्ता के पास पर्याप्त सबूत हों. अगर सोरेन के पास पर्याप्त सबूत हैं तो ईडी के अधिकारियों के खिलाफ गिरफ्तारी की वारंट जारी की जा सकती है. अगर नहीं हैं तो ऐसा होना मुश्किल हो जाएगा.
अगर आरोप सही नहीं हुए, सुबूत नहीं मिले?
यह भी संभव है कि ईडी के अधिकारी सोरेन के खिलाफ वापसी कार्रवाई कर सकते हैं. ईडी सोरेन पर झूठी शिकायत करने का आरोप लगा सकता है. अगर ईडी ऐसा करता है तो सोरेन को भी कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है. विशेषज्ञों का कहना है कि सोरेन की शिकायत पर कार्रवाई करने से पहले पुलिस को जांच करनी होगी. अगर जांच में सोरेन की शिकायत सही नहीं पाई जाती है, तो हेमंत सोरेन के खिलाफ एक और कार्रवाई के लिए ईडी के पास विकल्प खुला होगा.
इस एफआईआर में अब आगे क्या होगा?
हालांकि, यह भी संभव है कि इस एफआईआर मामले में ईडी के अधिकारी और सोरेन के बीच समझौता हो जाए. अगर ऐसा होता है, तो इस मामले को सुलझा लिया जा सकता है. जिसकी उम्मीद फ़िलहाल नहीं दिख रही है. अगर सोरेन के आरोप सही साबित होते हैं, तो ईडी के अधिकारियों के खिलाफ केस दर्ज किया जा सकता है. इस मामले में ईडी के अधिकारियों को गिरफ्तार भी किया जा सकता है. लेकिन ऐसा तब होगा जब हेमंत सोरेन के पास पुख्ता सुबूत होंगे. सोरेन के आरोपों के समर्थन में कोई सबूत है या नहीं, यह अभी स्पष्ट नहीं है. इसके अलावा,
कुल मिलाकर, यह कहना अभी मुश्किल है कि ईडी के अधिकारी गिरफ्तार किए जाएंगे या नहीं. इस मामले में आने वाले दिनों में और नए तथ्य सामने आएंगे, जिससे स्थिति साफ हो सकेगी. हेमंत सोरेन के आरोपों पर ईडी के अधिकारियों को गिरफ्तार करने के लिए पर्याप्त सबूत है या नहीं, यह भी अभी स्पष्ट नहीं है. इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि ईडी अधिकारियों पर कार्रवाई होगी.