3 साल से पटना नगर निगम ने नहीं किया बकाया भुगतान, छठ की छटा पर संकट बरकरार
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3 साल से पटना नगर निगम ने नहीं किया बकाया भुगतान, छठ की छटा पर संकट बरकरार

निगम पर संवेदकों का तीन साल का रुपया बकाया है. बावजूद इसके निगम की तरफ से इसबार फिर नए सिरे से काम को लेकर टेंडर जारी कर दिया गया है, जिसका विरोध शुरू हो चुका है. 

छठ की छटा पर संकट बरकरार. (फाइल फोटो)

Patna: पटना नगर निगम (Patna Municipal Corporation) की लापरवाही एक बार फिर उजागर हुई है. दरअसल, बीते सालों में छठ पर्व (Chhath) में पटना नगर निगम ने संवेदकों से काम तो करवा लिया लेकिन इसके बदले उन्हें पैसे ही नहीं दिए. निगम पर संवेदकों का तीन साल का रुपया बकाया है. बावजूद इसके निगम की तरफ से इसबार फिर नए सिरे से काम को लेकर टेंडर जारी कर दिया गया है, जिसका विरोध शुरू हो चुका है. ऐसे में पटना के घाटों पर छठ महापर्व की जो छटा आम सालों में दिखती थी वो शायद इस बार नहीं देखने को मिले.

छठ घाटों पर पर्व की तैयारी अधूरी
छठ पर्व में अब महज 16 दिनों का ही समय बचा है लेकिन अब तक कोई तैयारी नहीं हो सकी है. आमतौर पर छठ पर्व की तैयारी के लिए जिला प्रशासन और पटना नगर निगम डेढ़ महीने पहले से ही लग जाता है लेकिन इस बार गंगा में लगातार बढे़ हुए जलस्तर का बने रहना और छठ घाटों पर तैयारी कराने वाले संवेदकों के आंदोलन ने पर्व की तैयारी पर ब्रेक लगा दी है. कुछ घाटों पर जलस्तर कम जरुर हुआ है लेकिन वहां अभी बहुत काम बचा हुआ है, जिसे 16 दिनों में पूरा करना संभव नहीं दिख रहा है. 

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नहीं मिला तीन साल का पैसा
इधर, संवेदक बिनोद वैश्य बताते हैं कि साल 2018 से 2020 तक छठ घाटों पर किए गए कामों का पटना नगर निगम की तरफ से अब तक भुगतान नहीं किया गया है. संवेदकों की स्थिति काफी खराब है लेकिन इस बार भी बिना भुगतान किए ही पटना नगर निगम की तरफ से नए सिरे से काम के लिए टेंडर निकाल दिया गया है. संवेदक इसी फैसले का विरोध कर रहे हैं.

तीस करोड़ रुपया बकाया
दरअसल, पटना नगर निगम ने इस बार 93 घाटों पर छठ पर्व मनाने की मंजूरी देने का फैसला लिया है. कुछ घाटों पर पानी उतरा ही नहीं है. जहां पानी उतर चुका है वहां काफी दलदल की स्थिति है. घाटों पर सीढी बनाना, नदियों में डेंजर एरिया को शो करने के लिए नदियों में बांस लगाना, व्रतियों के घाट तक पहुंचने के लिए बांस की घेरा बंदी करना, बांस घेराबंदी को कपडे से ढ़कना, महिलाओं के लिए चेंजिंग रुम बनाना, वॉच टावर बनाना, अनाउंसमेंट के लिए साउंड सिस्टम लगाना, घाट और रास्तों पर लाईटिंग की व्यवस्था करना संवेदकों के जिम्मे ही आता है, जिसपर बीते तीन सालों में लगभग 30 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं. इनका भुगतान आजतक नहीं हुआ है.

लोग घरों में छठ पर्व मनाएं तो बेहतर है- रेणु देवी, डिप्टी सीएम
वहीं, छठ पर्व में आने वाली परेशानियों का एहसास बिहार कि डिप्टी सीएम रेणु देवी (Renu Devi) को भी है. यही वजह है कि डिप्टी सीएम ये सलाह दे रही हैं कि व्रती अपने घर में ही छठ पर्व मनाएं तो बेहतर होगा. जब उनसे संवेदकों के बकाए भुगतान को लेकर सवाल पूछा गया तो उनका दावा था कि सरकार मामले को सुलझा लेगी.

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