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पटना: Bihar News: दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने फेक वीजा रैकेट का भंडाफोड़ कर 7 लोगों को गिरफ्तार किया है. गिरफ्तार गैंग के सरगना का नाम इनामुल हक़ है. इनामुल इंजीनियरिंग कर चुका है और पढाई पूरी करने के बाद फेक वीजा रैकेट चलाकर लोगों को चूना लगाने लगा. पकड़े गए लोगों में इस विस्तृत योजना का मास्टरमाइंड भी शामिल था, जिसकी पहचान बिहार के दरभंगा के इनामुल हक के रूप में हुई है. विशेष रूप से, जालसाजों में मुख्य रूप से बिहार के दरभंगा के लड़के शामिल थे, और एक जामिया से था. पेशे से इंजीनियर हक दिल्ली के जाकिर नगर में रहता था.
दिल्ली पुलिस के मुताबिक दुबई भेजकर नौकरी लगाने का झांसा देकर ये गैंग अब तक करीब 1000 लोगों को चूना लगा चुका है. दिल्ली पुलिस के मुताबिक ये गैंग नौकरी डॉट कॉम से उन लोगों की तलाश करता था जो गल्फ कंट्री में नौकरी की तलाश में होते थे. फिर फर्जी कंपनी के जरिये उन्हें कॉल करके दुबई नौकरी दिलाने का झांसा देते और हर शिकार से करीब 60 हजार रुपये झटक लेते थे.
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पुलिस के मुताबिक ये गिरोह पहले उस शख्स को टूरिस्ट वीजा लगवाकर विश्वास में लेते थे और फिर दुबई पहुंचने के बाद वर्क परमिट मिलने की बात कहकर किश्तों में मोटी रकम ले लेते थे. पुलिस के मुताबिक इस गिरोह के निशाने पर अधिकतर केरला औऱ साउथ इंडिया के लोग होते थे.
जांच के दौरान पुलिस को पता चला है कि गिरोह कर सरग़ना इनामुल हक के रिश्तेदार के तार आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिद्दीन से जुड़े हुए हैं. पुलिस अब मामले की गहनता से जांच में जुट गई है कि क्या ये गैंग सिर्फ फेक वीजा रैकेट से ही जुड़ा था? कहीं इनके तार भी किसी आतंकी संगठन से तो नहीं जुड़े थे.
एक अधिकारी ने बताया कि कई फर्जी कंपनियों के जरिए काम करने वाला यह गिरोह दुबई स्थित कंपनियों का डेटा naukari.com जैसे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से लेता था. आरोपियों की पहचान शंकर कुमार शाह उर्फ महेश कुमार (28), सोमराज उर्फ सोम नाथ कुमार (26), इनामुल हक अंसारी उर्फ रिजवान अली उर्फ इकराम अली (32), ताबिश हासमी उर्फ विक्रांत सिंह (26), मोहम्मद तबरेज आलम के रूप में हुई. (26), तारिक शमश (26) और एकराम मुजफ्फर (19).
पूछताछ के दौरान इनामुल हक अंसारी ने रैकेट का मास्टरमाइंड होने की बात कबूल की. अधिकारी ने कहा, "उसने स्थानीय बेरोजगार व्यक्तियों को लालच दिया, उनके लिए फर्जी पहचान बनाई, उनके नाम पर बैंक खाते खोले और एक फर्जी विदेशी यात्रा कंपनी की स्थापना की." इसके बाद उन्होंने फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपनी सेवाओं का विज्ञापन किया, जिसमें खाड़ी देशों और मलेशिया में वर्क परमिट प्राप्त करने के लिए परामर्श देने का दावा किया गया. उसने वीजा सेवाओं, चिकित्सा शुल्क और वीजा शुल्क की आड़ में धोखाधड़ी से प्रति व्यक्ति लगभग 60,000 रुपये एकत्र किए.