Baba Basukinath: इस वर्ष श्रावणी मेला दो महीने तक चलने वाला है और श्रावणी मेला के दौरान दुमका के बासुकिनाथ में अवस्थित भगवान नागेशनाथ का फौजदारी दरबार कांवरिया भक्तों से गुलजार हो गया है.
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दुमका: Baba Basukinath: इस वर्ष श्रावणी मेला दो महीने तक चलने वाला है और श्रावणी मेला के दौरान दुमका के बासुकिनाथ में अवस्थित भगवान नागेशनाथ का फौजदारी दरबार कांवरिया भक्तों से गुलजार हो गया है. देश के बारह द्वादश ज्योर्तिलिंग से अलग भगवान शिव के कामना लिंग बाबा बैद्यनाथ धाम से मात्र 32 किलोमीटर की दूरी पर दुमका जिले में स्थित बाबा बासुकिनाथ का यह शिवलिंग जिसे फौजदारी बाबा के रूप में लोग पूजते हैं. नागेश ज्योर्तिलिंग का यह दरबार भक्तों की संपूर्ण कामनाओं को पूरा करता है.
क्या है बाबा बासुकिनाथ मंदिर का इतिहास और इसका महत्व
बाबा बासुकिनाथ मंदिर दुमका जिला मुख्यालय से करीब 25 किलोमीटर स्थित है. जहां आनेवाले कांवरिया एवं श्रद्धालुओं को मिलती है बाबा की विशेष कृपा. सावन को मधुमास कहा जाता है और इस मधुमास सावन को श्रेष्ठ पुण्यों का प्रदाता भी कहा गया है. पवित्र मधुमास में महादेव की पूजा अर्चना का शास्त्रों में भी उल्लेख मिलता है. कहते हैं कि एक हजार साल पहले जब पूरे हिन्दुस्तान में अकाल पड़ा था उस समय लोग कंद मूल खाकर जीवन यापन कर रहे थे. संताल परगना के इसी दारुक वन में बाबा बासु नाम का एक आदमी कंद मूल की खोज में मिट्टी खोद रहा था. मिट्टी खोदने के क्रम में उसका औजार जमीन में किसी वस्तु से टकराई और उस वस्तु से खून निकलने लगा यह देख बासु भागने लगा तभी आकाशवाणी हुई और स्वयं नागनाथ ने बासु को सेवा करने को कहा. वहां बासु को एक शिवलिंग प्राप्त हुआ. भगवान भोलेनाथ ने बासु को स्वपन में उसी के नाम से पूजा करने का आशीर्वाद दिया और उसके बाद से ही यह स्थान बासुकिनाथ के नाम से जाने जाना लगा.
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बासुकिनाथधाम में इस वर्ष दो महीने तक श्रावणी मेला होगा और भक्त बाबा को दो माह तक जलार्पण कर सकेंगे. बासुकिनाथ के पुजारी की मानें तो इस वर्ष अधिमास होने के कारण बाबा भोले को प्रसन्न करने का विशेष महीना है, पूजा पाठ ध्यान करने से इस अधिमास में बाबा बासुकिनाथ अधिक प्रसन्न होंगे. अधिमास में पूजा पाठ करने से भक्तों को मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी.
सावन में भगवान शिव शंकर के स्वयं भू लिंग, ज्योर्तिलिंग, पार्थिव लिंग आदि शिवलिंग की गंगाजल से अभिषेक को महान पुण्यों का दाता कहा गया है. शिव पुराण और धार्मिक ग्रन्थ की अवधारणा तथा परिवार की अभीष्ट मंगल कामनाओं को लेकर शिवभक्तों की विशाल भीड़ भगवान भोलेनाथ के सतत अभिषेक में इन दिनों बासुकिनाथ में उमड़ रही है. समुद्र मंथन के बाद
देवताओं ने श्री नागेष नाथ ज्योर्तिलिंग की सन्निधि में बासुकिनाग को सौंप दिया इसलिए श्री नागेषनाथ का नाम बासुकिनाथ हो गया. जिसे कामना लिंग भी कहा जाता है. देवधर स्थित बाबा वैद्यनाथद्याम को दीवानी बाबा और बाबा बासुकिनाथ को फौजदारी बाबा कहा जाता है जहां श्रद्धालुओं की मनोकामना तुरंत पूरी होती है. श्रावणी मेला के दौरान सुल्तानगंज से लेकर बाबा बासुकिनाथ तक करीब 150 किलोमीटर तक विशाल मेला लगता है. देश और विदेश के विभिन्न हिस्सों से आनेवाले कांवरियां सुल्तानगंज से जल लेकर देवघर में बाबा वैद्यनाथद्याम को जलाभिशेक करने के बाद बाबा बासुकिनाथ पहुंचते है. तब उनकी यात्रा को पूरा माना जाता है.
बासुकिनाथ में यूं तो सालों भर बाबा भोलेनाथ के दरबार में श्रद्धालुओं का हुजूम लगा रहता है लेकिन सावन में पूरा बासुकिनाथ केसरियामय हो जाता है और सच्ची निष्ठा और विश्वास लिये देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी हर दिन हजारों कांवरियां फौजदारी बाबा के दरबार में हाजिरी देने पहुंचते हैं.
(रिपोर्ट- सुबीर चटर्जी)