Bihar Politics: NDA में आ तो गए नीतीश लेकिन कंट्रोल पैनल गया भाजपा के हाथ में!
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Bihar Politics: NDA में आ तो गए नीतीश लेकिन कंट्रोल पैनल गया भाजपा के हाथ में!

बिहार में NDA के साथ मिलकर नीतीश कुमार ने नई सरकार का गठन कर लिया है. नीतीश नौवीं बार बिहार के सीएम बन गए हैं. मतलब बिहार में डबल इंजन की सरकार चल निकली है. केंद्र में NDA की सरकार है और अब बिहार में भी सरकार आ गई है.

फाइल फोटो

Bihar Politics: बिहार में NDA के साथ मिलकर नीतीश कुमार ने नई सरकार का गठन कर लिया है. नीतीश नौवीं बार बिहार के सीएम बन गए हैं. मतलब बिहार में डबल इंजन की सरकार चल निकली है. केंद्र में NDA की सरकार है और अब बिहार में भी सरकार आ गई है. ऐसे में इस बार पॉवर कंट्रेल वैसा नहीं होने जा रहा है जैसा 2005, 2010 या 2017 में था. ऐसे में भाजपा इस बार चुस्त-दुरुस्त नजर आ रही है और इस सरकार के गठन से पहले ही नीतीश के सारे दांव पेंच को भाजपा ने ध्यान में रखकर रणनीति तैयार की है. 

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इस बार नीतीश सरकार में भाजपा की तरफ से दो उपमुख्यमंत्री बनाए गए हैं जो पहले की तरह नीतीश को लेकर सॉफ्ट नहीं होंगे. मतलब भाजपा ने सॉफ्ट नेताओं को इस पद पर बिठाया ही नहीं. सुशील मोदी जब तक बिहार में नीतीश सरकार में उपमुख्यमंत्री रहे उसी बीच पार्टी के भीतर ही सुशील मोदी को लेकर विरोध सउरू हो गया था. उन्हें नीतीश का हित रक्षक बताया जाने लगा था. ऐसे में जब नरेंद्र मोदी देश के पीएम बने तो उनके लिए नीतीश कुमार और सुशील मोदी दोनों प्राथमिकता हासिल करनेवाले नेताओं में नहीं थे. 

2020 में जब एनडीए की सरकार बनी थी तो रेणु देवी और तार किशोर प्रसाद बिहार में भाजपा की तरफ से उपमुख्यमंत्री बने. जो नीतीश के प्रभाव के आगे कहीं नहीं टिकते थे. इस बार भाजपा ने सोच समझकर बिहार के दो तेज तर्रार भाजपा नेताओं को नीतीश के आजू-बाजू खड़ा कर दिया. विधानसभा में यही विजय सिन्हा थे जो नीतीश कुमार से बयानी भिडंत कर बैठे थे. नीतीश को लेकर विजय सिन्हा के पुराने तीखे बयान तो सभी को याद ही होंगे. 

वहीं नीतीश को कुर्सी से उतारने की कसम खाकर पगड़ी बांध चुके सम्राट चौधरी का भी सुर बेहद तीखा रहा है. उन्होंने नीतीश कुमार को कई बार मैमोरी लॉस सीएम बताया. वह नीतीश को डरपोक और बिहार नहीं संभाल पाने वाले नेता बताते रहे. वहीं भाजपा ने नीतीश की कठिनाई और बढ़ा दी. चिराग पासवान एनडीए में हैं और भाजपा ने नीतीश के लिए सदन के बाहर भी इनके जरिए परेशानी खड़ी कर दी. क्योंकि चिराग बोलते दिखे की नीतीश से उनकी व्यक्तिगत लड़ाई नहीं है. ऐसे में अगर मोदी की नीतियों के आड़े नीतीश आए तो चिराग उनका विरोध जरूर करेंगे.  

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