Nishant Kumar: निशांत कुमार अब जेडीयू की मजबूरी नहीं, जरूरत बन गए हैं. नीतीश कुमार के गिरते स्वास्थ्य की स्थिति में जेडीयू में एक ऐसा स्तंभ चाहिए, जो सभी नेताओं को एक सूत्र में बांध सके. निशांत कुमार यह काम कर सकते हैं.
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BIhar Politics: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के बेटे निशांत कुमार के पॉलिटिक्स में आने की जोर शोर से चर्चा चल रही है. जेडीयू के कुछ नेताओं ने भी इस बाबत संकेत देते हुए कहा है कि अगर निशांत कुमार (Nishant Kumar) आना चाहते हैं तो उनका स्वागत है. हालांकि अभी यह कहा जा रहा है कि होली बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खुद इस बाबत बड़ा फैसला कर सकते हैं. एक बात तो दीगर है कि निशांत कुमार राजनति में रुचि जरा कम लेते हैं और उनका झुकाव आध्यात्म की ओर है. कुछ समय पहले निशांत कुमार ने टीवी इंटरव्यू में अपनी जीवन के बारे में कुछ तथ्य लोगों के सामने रखे थे. इस दौरान उन्होंने अपने बचपन के दिनों को भी याद किया था.
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निशांत कुमार ने इंटरव्यू में बताया था कि उनके पिता नीतीश कुमार बहुत सख्त थे. निशांत कुमार ने बताया था, जब भी स्कूल का होमवर्क करने से मना करता था तो पिताजी घर की बालकनी से लटकाकर डराते थे. निशांत कुमार ने बताया था, पिताजी सार्वजनिक जीवन में जितना अनुशासित हैं, निजी जीवन में भी उतने ही अनुशासित हैं.
इंटरव्यू में निशांत कुमार ने नोटबंदी और सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर पीएम मोदी की काफी तारीफ की थी. उनका कहना था कि चूंकि नरेंद्र मोदी मेरे पिता के साथ हैं, इसलिए वे मेरे लिए चाचा जैसे हैं. उन्होंने नोटबंदी के जरिए भ्रष्टाचार के खिलाफ और सर्जिकल स्ट्राइक के जरिए आतंकवाद के खिलाफ देश के लिए बहुत अच्छा काम किया है.
निशांत कुमार अपने पिता की तरह एक इंजीनियर हैं और उनकी संपत्ति अपने पिता से 5 गुने से भी ज्यादा है. ऐसा इसलिए है, क्योंकि उनकी माता मंजू सिन्हा ने अपनी संपत्ति और सेवानितृत्ति लाभ आदि निशांत कुमार के नाम कर दिया था.
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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तबीयत नासाज चल रही है. कई मौकों पर स्वास्थ्य कारणों से उन्हें कार्यक्रम रद्द करने पड़ रहे हैं. ऐसे मुश्किल समय में जेडीयू को एक नेतृत्व की जरूरत है और निशांत कुमार जेडीयू में वह कमी पूरी कर सकते हैं, जो बाकी दलों के पास पहले से है. हालांकि निशांत कुमार की दिलचस्पी राजनीति से ज्यादा आध्यात्म की ओर है और ऐसा वे सार्वजनिक रूप से भी स्वीकार कर चुके हैं.