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पटना: Bihar News: बिहार के 10 जिलों में की गई एक ऑडिट में यह पाया गया कि प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण (पीएमएवाई-जी) के तहत मृत व्यक्तियों को लाभ, अपात्र लोगों को योजना की किस्त का भुगतान और निर्मित ही नहीं हुए आवास के लिए पूरी सहायता राशि की अदायगी की गई. एक अधिकारी ने शनिवार को यह जानकारी दी.
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आवास स्थलों की अवास्तविक ‘जियो टैगिंग’ (भू-अवस्थिति) और गलत खातों में किस्तों का भुगतान ऐसी विसंगतियां हैं, जिन्हें महालेखाकार (एजी-बिहार) की ऑडिट टीम ने राज्य में ग्रामीण आवासीय योजना के क्रियान्वयन की ऑडिट के दौरान पाई हैं.
‘कार्य निष्पादन ऑडिट’ रिपोर्ट के आधार पर राज्य के ग्रामीण विकास विभाग के सचिव एन श्रवण कुमार ने हाल में सभी उप विकास आयुक्तों (डीडीसी) और संबद्ध अधिकारियों को कार्यक्रम के क्रियान्वयन के लिए केंद्र के दिशानिर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित करने को कहा था. उन्होंने पत्र में कहा, ‘केंद्र के ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा जारी पीएमएवाई-जी क्रियान्वयन फ्रेमवर्क के तहत, संबद्ध अधिकारियों को पारदर्शिता और दिशानिर्देशों का सख्त अनुपालन सुनिश्चित करना चाहिए.’
डीडीसी को भेजे गए पत्र के अनुसार, ‘पीएमएवाई-जी के क्रियान्वयन में विसंगतियों में राज्य में कुछ खास मामलों में मृत व्यक्तियों के नाम पर लाभ प्रदान किया जाना, अपात्र लाभार्थियों को किस्तों की अनियमित भुगतान, अवास्तविक जियो- टैगिंग, गलत खातों में किस्त का भुगतान शामिल हैं.’ पत्र के अनुसार, ‘ऑडिटर ने यह भी पाया कि कुछ खास क्षेत्रों में व्यापक वार्षिक कार्य योजना तैयार नहीं की गई, ‘कोरम’ के बगैर ग्राम सभा की बैठकों में मंजूरी प्रदान की गई, निर्मित ही नहीं हुए आवास को पूरी सहायता राशि का भुगतान किया गया.’
ऑडिटरों द्वारा पाई गई विसंगतियों पर टिप्पणी करते हुए बिहार के ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने कहा कि ये सभी पुराने मामले हैं. उन्होंने कहा, ‘विभाग इस तरह की चीजों में शामिल पाये गए लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई कर रहा. मैंने संबद्ध अधिकारियों को पीएमएवाई-जी के क्रियान्वयन के लिए जारी दिशानिर्देशों का सख्त अनुपालन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है.’
(इनपुट- भाषा)