Folk Dance Drama of Bihar : बिहार के लोकनाट्य न केवल मनोरंजन का साधन हैं, बल्कि ये राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को भी जीवंत रखते हैं. इनमें समाज को बदलने और प्रेरित करने की शक्ति है.
बिहार का सबसे लोकप्रिय लोकनाट्य बिदेसिया है, जिसे भिखारी ठाकुर ने शुरू किया. इसमें प्रवासी मजदूरों के संघर्ष और सामाजिक मुद्दों को सरल भाषा और गीत-संगीत के जरिए प्रस्तुत किया जाता है.
यह महिलाओं द्वारा गाया और प्रस्तुत किया जाता है, जिसमें भाई-बहन के रिश्ते और सामाजिक कुरीतियों पर ध्यान दिया जाता है. इसे विशेष रूप से छठ पर्व के समय प्रदर्शित किया जाता है.
यह लोकनाट्य पति-पत्नी के रिश्ते, उनके संघर्ष और आपसी प्रेम को दर्शाता है. यह गांवों में बारिश के मौसम के दौरान प्रस्तुत किया जाता है.
देवताओं की स्तुति और भक्ति से जुड़े इस नाट्य में धार्मिक भावनाओं को गीतों और नृत्य के माध्यम से प्रकट किया जाता है.
पंथगान सामाजिक सुधार और जागरूकता का संदेश देने वाला नाट्य है. यह विशेष रूप से सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ आवाज उठाने के लिए प्रसिद्ध है.
यह लोकनाट्य ग्रामीण जीवन, उनकी समस्याओं और उनके हल को चित्रित करता है. इसका प्रदर्शन अक्सर मेलों और त्योहारों में किया जाता है.
भजन-कीर्तन पर आधारित यह लोकनाट्य धार्मिक कहानियों और आध्यात्मिक संदेशों को जीवंत करता है.
यह मैथिली भाषा में प्रस्तुत किया जाने वाला नाट्य है, जिसमें कृष्ण और राधा की प्रेम कथाओं को दर्शाया जाता है.
यह नाट्य देवी-पूजा पर आधारित है और इसे शारदीय नवरात्र के दौरान प्रस्तुत किया जाता है.
यह मुगलकालीन कला से प्रेरित है, जिसमें ऐतिहासिक घटनाओं और वीरता की गाथाओं को दिखाया जाता है.
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