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Chaiti Chhath Puja: क्यों मनाया जाता है चैती छठ? जानिए इसके पीछे की कहानी

चार दिवसीय चैती छठ पूजा उत्सव 12 अप्रैल से चैत्र को 'नहाय-खाय' अनुष्ठान के साथ शुरू होगा. बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल में यह शुभ पर्व मनाया जाता है. त्योहार के दौरान सूर्य देव और छठी मैया की पूजा की जाती है.

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चैत्र मास में होने की वजह से इसे चैती छठ पर्व के नाम से जाना जाता है. कार्तिक माह में पड़ने वाली छठ के बारे में बहुत सुना और जाना जाता है. मगर, चैती छठ क बारे में बहुत कम लोगों को जानकारी होती है. हालांकि, यह पर्व भी उतना ही महत्वपूर्ण और खास माना जाता है

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उन्होंने आगे बताया कि देवसेना को सूर्य की पहली किरण कहा जाता है. इस तरह सूर्य देव और देवसेना आपस में भाई-बहन हैं. संसार को प्रकाश और ऊर्जा की शक्ति छठवें दिन मिली, इसलिए छठ पर्व में सूर्य देव की पूजा करते हैं. देवसेना ही षष्ठी देवी कहलाती हैं. 

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पंडित रामकुमार मिश्रा के अनुसार, इसी जल में योगमाया के बंधन में बंधे श्रीहरि शयन कर रहे थे. ब्रह्मांड के निर्माण की प्रक्रिया में छठवें दिन सौरमंडल का निर्माण हुआ. श्रीहरि के नेत्र खुलते ही सूर्य और चंद्र बने, इसके साथ योगमाया ने ब्रह्मा की ब्राह्मी शक्ति से जन्म लिया, जिनका नाम देवसेना पड़ा. 

 

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पंडित रामकुमार मिश्रा ने चैती छठ मनाने के पीछे की कहानी को भी बताया. उन्होंने कि चैत्र नवरात्र के पहले दिन को सृष्टि का प्रथम दिन माना जाता है. इस दिन ब्रह्मा ने अपनी इच्छा से सृष्टि का निर्माण किया था. संसार बनने के साथ ही उसमें बहुत अंधकार था, सिर्फ जल ही जल था. 

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छठ पूजा साल में दो बार मनाई जाती है. चैती छठ- यह विक्रम संवत के चैत्र महीने में मनाया जाता है, और कार्तिक छठ- कार्तिक महीने में मनाया जाता है जिसे कार्तिक शुक्ल षष्ठी के नाम से जाना जाता है.

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पंडित रामकुमार मिश्रा ने बताया कि इस साल चैती छठ 12 अप्रैल को नहाए खाए के साथ शुरु होगी. इसके बाद 13 अप्रैल को खरना, फिर 14 अप्रैल को संध्या कालीन अर्घ्य को दिया जाएगा. 15 अप्रैल की सुबह को भगवान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही चैती छठ पर्व समाप्त हो जाएगा.

 

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चार दिवसीय त्योहार नहाए खाए के साथ शुरू होता है. इसके बाद 'खरना', 'संध्या अर्घ्य' और 'उषा अर्घ्य' दिया जाता है. मान्यता है कि इस दिन अपने बच्चों की भलाई के लिए महिलाएं दिन भर व्रत रखती हैं. सूर्योदय से सूर्यास्त तक इस दौरान वे कुछ भी खाने-पीने से परहेज करतीं हैं.

 

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चार दिवसीय चैती छठ पूजा उत्सव 12 अप्रैल से चैत्र को 'नहाय-खाय' अनुष्ठान के साथ शुरू होगा. बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल में यह शुभ पर्व मनाया जाता है. त्योहार के दौरान सूर्य देव और छठी मैया की पूजा की जाती है. भक्त उनका आशीर्वाद लेने के लिए सूर्य देव और छठी मैया को अर्घ्य देते हैं.

 

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सौर पुराण के अनुसार, कई राजाओं ने छठ व्रत का पालन किया था. इनमें कर्ण, कुंती पुत्र अर्जुन और श्रीकृष्ण के पुत्र सांब ने भी छठ व्रत किया था.