मनमोहन सिंह सरकार के अध्यादेश को राहुल गांधी नहीं फाड़ते तो आज यह नौबत नहीं आती
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मनमोहन सिंह सरकार के अध्यादेश को राहुल गांधी नहीं फाड़ते तो आज यह नौबत नहीं आती

2013 का वो घटनाक्रम याद करिए. 27 सितंबर को कांग्रेस ने प्रेस कांफ्रेंस बुलाई थी, जिसमें तत्कालीन मनमोहन सरकार की ओर से लाए गए अध्यादेश की तारीफ में कसीदे गढ़े जाने वाले थे. लेकिन वहां नाटकीय अंदाज में राहुल गांधी की एंट्री होती है.

राहुल गांधी, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष

2013 का वो घटनाक्रम याद करिए. 27 सितंबर को कांग्रेस ने प्रेस कांफ्रेंस बुलाई थी, जिसमें तत्कालीन मनमोहन सरकार की ओर से लाए गए अध्यादेश की तारीफ में कसीदे गढ़े जाने वाले थे. लेकिन वहां नाटकीय अंदाज में राहुल गांधी की एंट्री होती है. राहुल गांधी उस अध्यादेश को बकवास बताते हैं और कहते हैं कि इसे फाड़कर फेंक दिया जाना चाहिए और उन्होंने फाड़कर फेंक भी दिया. दरअसल, मनमोहन सिंह सरकार एक अध्यादेश लेकर आई थी, जिसका मकसद सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश को निष्क्रिय करना था. कोर्ट ने उस आदेश में कहा था कि दोषी पाए जाने पर सांसदों और विधायकों की सदस्यता रद हो जाएगी. अध्यादेश के खिलाफ तब बीजेपी और वाम दल आंदोलन कर रहे थे. उस समय राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव और राज्यसभा सांसद राशि मसूद भ्रष्टाचार के मामले में दोषी ठहराए जा चुके थे. आज राहुल गांधी को 2 साल कैद की सजा हुई है और संसद सदस्यता जाने की भी नौबत आन पड़ी है. ऐसे में 27 सितंबर का वो वाकया राहुल गांधी और कांग्रेस को याद कर लेना चाहिए. 

पिछले दिनों कांग्रेस पार्टी से अपना इस्तीफा देने के बाद वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा था, पार्टी में राहुल गांधी की एंट्री के बाद से विचार विमर्श की पुरानी परंपरा का विध्वंस कर दिया गया था. आजाद ने कहा था कि राहुल गांधी अनुभव हीन चाटुकार मंडली से घिरे हुए हैं और ऐसे ही लोग पार्टी में फैसले ले रहे हैं. तब आजाद ने अध्यादेश फाड़ने वाली घटना का जिक्र भी किया था. आजाद ने कहा था, यह सब दर्शाता है कि राहुल गांधी कितने अपरिपक्व नेता हैं. अध्यादेश फाड़े जाने से मनमोहन सिंह की सरकार शर्मसार हो गई थी. 

तब राहुल गांधी ने क्या कहा था

राहुल गांधी ने तब कहा था, मैं आपको अंदरखाने चल रही बात बताता हूं. हमें राजनीतिक कारणों से अध्यादेश लाने की जरूरत है. हर कोई यही करता है और काग्रेस पार्टी भी यही करती है. बीजेपी भी यही करती है और जनता दल भी यही करती है. लेकिन अब इसे बंद किया जाना चाहिए. राहुल गांधी ने कहा था, मेरा मानना है कि सभी राजनीतिक दलों को ऐसे समझौते बंद करने चाहिए, क्योंकि हम देश में भ्रष्टाचार से लड़ना चाहते हैं तो हमें ऐसे छोटे मोटे समझौते नहीं करने चाहिए. कांग्रेस जो कर रही है, उसमें मेरी दिलचस्पी है, हमारी सरकार जो कर रही है उसमें मेरी दिलचस्पी है. मुझे व्यक्तिगत रूप से लगता है कि इस अध्यादेश के बारे में हमारी सरकार ने जो किया है, गलत किया है.  मीडिया रिपोर्ट में तो बात यहां तक आई थी कि तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह इस घटना से बेहद आहत हुए थे और इस्तीफा देने तक के बारे में भी सोच लिया था. बाद में सरकार ने अक्टूबर में यह अध्यादेश वापस ले लिया था. 

गुलाम नबी आजाद ने बताया था, अध्यादेश कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और कोर ग्रुप में  विचार विमर्श के बाद तैयार किया गया था और प्रधानमंत्री की अगुवाई वाली केंद्रीय कैबिनेट ने इसे स्वीकार किया था. आजाद कहते हैं, इस बचकानी हरकत के चलते पीएम और भारत सरकार की महत्ता को नुकसान पहुंचा था. 2014 के चुनाव में यूपीए सरकार की हार में इस बचकानी हरकत की बड़ी भूमिका थी. आजाद का दावा था कि दक्षिणपंथी समूहों और कुछ कॉरपोरेट घरानों ने इस मौके का फायदा उठाया था. 

अभी क्या हुआ है

2019 के लोकसभा चुनाव में कर्नाटक के कोलार में प्रचार के दौरान राहुल गांधी ने मोदी सरनेम को लेकर आपत्तिजनक बयान दिया था. उन्होंने ललित मोदी और नीरव मोदी का हवाला देते हुए कटाक्ष किया था कि आखिर सभी मोदी चोर ही क्यों होते हैं. इस बयान के बाद गुजरात के विधायक पूर्णेश मोदी ने कोर्ट में मानहानि का दावा ठोक दिया था और कहा था कि इससे मोदी समुदाय की भावनाएं आहत हुई हैं. इसके बाद बिहार के तत्कालीन डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी ने भी एमपी एमएलए कोर्ट में मानहानि का केस किया था. 23 मार्च 2023 को गुजरात के सेशन कोर्ट ने राहुल गांधी को दोषी पाते हुए 2 साल कैद की सजा सुनाई है. हालांकि इसके साथ ही राहुल गांधी को जमानत भी मिल गई है. अब सुशील कुमार मोदी के मानहानि के केस में राहुल गांधी को 12 अप्रैल को पटना के एमपी एमएलए कोर्ट में पेश होना है. कोर्ट में राहुल गांधी को सशरीर उपस्थित होकर अपने बयान पर स्पष्टीकरण देना है. 

क्या राहुल गांधी की सदस्यता चली जाएगी?

गुजरात के सेशन कोर्ट ने 2 साल की कैद की सजा सुनाई है. जानकारों का कहना है कि अगर अपील में सजा पर स्टे नहीं होती है तो केरल के वायनाड से राहुल गांधी की सदस्यता जा सकती है. गुजरात के सेशन कोर्ट ने राहुल गांधी को अपील करने के लिए 30 दिन की मोहलत दी है. इस बीच 12 अप्रैल को राहुल गांधी को सुशील कुमार मोदी के मानहानि वाले केस में 12 अप्रैल 2023 को पटना के एमपी एमएलए कोर्ट में पेश होना है.

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