Lok Sabha Election 2024: आखिर क्यों विरोधी दलों को मुसलमानों के बिखरने का नहीं 'हिंदुओं' के एकजुट होने का सता रहा डर!
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Lok Sabha Election 2024: आखिर क्यों विरोधी दलों को मुसलमानों के बिखरने का नहीं 'हिंदुओं' के एकजुट होने का सता रहा डर!

कर्नाटक में कांग्रेस की प्रचंड जीत के बाद ऐसा विपक्षी मामने लगे हैं कि लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा के लिए राह कठिन हो गई है. राजनीतिक जानकार भी मानने लगे हैं कि कर्नाटक का विधानसभा चुनाव नतीजा लोकसभा चुनाव के लिए एक दिशासूचक का काम करने वाला है.

(फाइल फोटो)

Lok Sabha Election 2024: कर्नाटक में कांग्रेस की प्रचंड जीत के बाद ऐसा विपक्षी मामने लगे हैं कि लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा के लिए राह कठिन हो गई है. राजनीतिक जानकार भी मानने लगे हैं कि कर्नाटक का विधानसभा चुनाव नतीजा लोकसभा चुनाव के लिए एक दिशासूचक का काम करने वाला है. विपक्ष तो अब यह भी मानने लगा है कि कर्नाटक के चुनाव परिणाम की तरह ही 2024 लोकसभा चुनाव का परिणाम आएगा. 

ऐसे में सभी राजनीतिक दलों को पता चल गया है कि जितनी जातियों की बात होगी उतना ही धर्म का मुद्दा पीछे हटता जाएगा और फिर इसी के आधार पर भाजपा को सत्ता से हटाने का रास्ता बनाया जा सकता है. सभी विपक्षी राजनीतिक दल इस बात को मानते हैं कि भाजपा के कट्टर हिंदुत्व की सोच को जातियों के सहारे ही तोड़ा जा सकता है. ऐसे में अब भाजपा को भी यह लगने लगा है कि तमाम विपक्षी दल जातियों में बांटकर चुनाव में जीत के लिए रास्ता तैयार करने की जुगत में लगे हुए हैं. ऐसे में भाजपा को पता है कि जिस तरह से कर्नाटक में मुस्लिम वोटरों ने एकजुट होकर कांग्रेस के पक्ष में वोटिंग कर दी ऐसा ही कुछ 2024 के लोकसभा चुनाव में भी होना है. इसके साथ ही भाजपा यह भी कह रही है कि विपक्ष की कोशिश है कि मुस्लिम तो एकजुट रहें जबकि हिंदुओं को जातियों में बांटकर रखा जाए ताकि वोट का बिखराव बना रहे और सत्ता तक पहुंचने की उनकी मंशा कामयाब हो जाए. 

भाजपा ने कर्नाटक चुनाव के नतीजों का आंकलन कर जो कहा है उसको गौर से पढ़ेंगे तो आपको पता चलेगा कि बीजेपी के पास 2018 में जितने प्रतिशत वोट थे 2023 में भी वही था. हालांकि कर्नाटक में भाजपा के कोर वोटर रहे लिंगायत समाज की तरफ से कांग्रेस का साथ दिया गया और इसकी नुकसान सीधे तौर पर भाजपा को हुआ. जहां कांग्रेस के वोट में 5 फीसदी का इजाफा हुआ वहीं भाजपा के वोट में कमी आई. इसके साथ ही भाजपा का यह भी आंकलन रहा कि मुस्लिम वोट 82 प्रतिशत के करीब एकमुश्त कांग्रेस को पड़े. कांग्रेस और जेडीएस के बीच बंटे मुस्लिम वोट बैंक ने सीधे इस बार कांग्रेस को सपोर्ट किया. मुस्लिम वोटरों का यही एकजुट होना कांग्रेस के काम आ गया. 

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वहीं भाजपा अब यह मानने लगी है कि कांग्रेस यही फॉर्मूला अब पूरे देश में अपनाने के चक्कर में है. मतलब कांग्रेस पूरे देश में अब मुस्लिम मतदाताओं को इकट्ठा करने और हिंदू वोटरों को जाति में बांटने की कोशिश में  लग गई है. इसमें केवल कांग्रेस ही नहीं अन्य विपक्षी दल भी ऐसा ही कर रहे हैं.ऐसे में बीजेपी यह भी मान रही है कि विरोधी दल तुष्टिकरण की राजनीति करने पर आमदा हैं और उन्हें मुस्लिम वोट बैंकों में होने वाले बिखराव से उतना फर्क नहीं पड़ रहा है जितना हिंदू एकता से पड़ रहा है ऐसे में इनको लेकर ह विपक्षी दल को चिंता सताती रहती है. वहीं कांग्रेस का दावा है कि वह हिंदू मुस्लिम या तुष्टिकरण जैसे कोई काम नहीं करती वह तो विपक्षी एकता में समान विचारधारा वाले दलों को एक साथ लेकर चलने की कोशिश करती है. कांग्रेस का मानना है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में समान विचारधारा वाले दल एक साथ आकर भाजपा को सत्ता से बाहर करने का रास्ता बनाएंगे. 

 

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