शिक्षकों ने इस फैसले को तुगलकी फैसला बताते हुए बिहार सरकार पर तुष्टिकरण की राजनीति का आरोप लगाया है. शिक्षकों ने कहा था कि हम लोगों के अधिकार को बिहार सरकार छीन रही है.
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Bihar News: नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार की महागठबंधन सरकार ने सितंबर से दिसंबर तक की सरकारी स्कूलों की छुट्टियों में भारी कटौती की है. सितंबर से दिसंबर तक 23 छुट्टियां थीं, जो अब 11 कर दी गई हैं. नीतीश सरकार के इस फैसले का भारी विरोध हो रहा है. बिहार प्रारंभिक शिक्षक संघ ने इस मामले को लेकर बुधवार (30 अगस्त) को एक बैठक की. इस बैठक में राज्यभर के शिक्षक संघ के पदाधिकारियों ने हिस्सा लिया था. बैठक में शिक्षक संघ ने स्कूलों की छुट्टियों में कटौती के फैसले को वापस लेने की मांग की थी, नहीं तो स्कूलों में तालाबंदी करने की चेतावनी दी गई है. गुरुवार (31 अगस्त) की सुबह-सुबह ऐसी खबर भी आई कि सरकार ने फैसला पलट दिया है, हालांकि सरकार की ओर से ऐसा कोई निर्णय नहीं लिया गया है. फैसला पलटने को लेकर सोशल मीडिया पर फर्जी खबर फैला दी गई थी.
शिक्षकों ने इस फैसले को तुगलकी फैसला बताते हुए बिहार सरकार पर तुष्टिकरण की राजनीति का आरोप लगाया है. शिक्षकों ने कहा था कि हम लोगों के अधिकार को बिहार सरकार छीन रही है. हम लोगों के साथ अन्याय हुआ है. हम लोगों को प्रताड़ित किया जा रहा है. सरकार तत्काल प्रभाव से इस फैसले को वापस ले, नहीं तो पूरे बिहार में बड़ा आंदोलन होगा. अगर सरकार द्वारा फैसला नहीं पलटा गया तो हम लोग स्कूलों में तालाबंदी करेंगे.
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शिक्षकों ने कहा था कि हिन्दुओं के पर्व पर मिलने वाली छुट्टियों को रद्द किया गया और कटौती भी की गई. मुस्लिम समाज के त्योहारों में जो छुट्टियां मिलती हैं उनको न रद्द किया गया और न उनमें कटौती की गई है. छठ दुर्गा पूजा समेत कई त्योहारों में हम लोग उपवास पर रहते हैं. ऐसे में कैसे हम लोग पढ़ा पाएंगे? साल में हम लोग 250 से ज्यादा दिन पढ़ाते हैं. कभी हम लोगों को जातीय गणना के काम में लगाया जाता है, कभी बोरा कबाड़ बेचने के लिए कहा जाता है. कभी शराब की बोतल खोजने को कहा जाता है. हम लोग भी इंसान हैं, थक जाते हैं. वहीं सरकार तर्क दिया था कि 220 दिन साल में स्कूल में पढ़ाई होना जरूरी है इसलिए छुट्टियों में कटौती की जा रही है.
उधर सत्ताधारी पार्टी जेडीयू के एमएलसी नीरज कुमार ने कहा कि स्कूलों की छुट्टियां खत्म नहीं की गई हैं, बल्कि उन्हें व्यवहारिक करने के लिए उनमें संशोधन किया गया है. इसमें कोई धार्मिक भेदभाव नहीं किया गया है. यदि ऐसी कोई बात सरकार के संज्ञान में आएगी, तो उसे जरूर देखा जाएगा. नीरज कुमार ने कहा कि शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत प्राथमिक विद्यालयों में साल में 200 दिन और मध्य विद्यालयों में 220 दिनों तक की पढ़ाई आवश्यक है. इसलिए स्कूलों में छुट्टियों को कम किया गया है. छुट्टियां खत्म नहीं की गई हैं, न ही धर्म के आधार पर बांटा गया है.