Jharkhand News: गौरव गोगोई के बयान पर झामुमो प्रवक्ता मनोज पांडे ने सहमति जताई. उन्होंने कहा कि राजनीतिक पर्यटक केवल घूमने आते हैं और फिर चले जाते हैं. इस समय झारखंड में हेमांता बिस्वा शर्मा और केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान जैसे नेताओं की उपस्थिति को उन्होंने राजनीतिक पर्यटन का उदाहरण बताया.
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रांची: रांची में कांग्रेस नेता गौरव गोगोई ने असम के मुख्यमंत्री हिमांता बिस्वा शर्मा पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि शर्मा झारखंड में सिर्फ एक राजनीतिक पर्यटक की तरह घूम रहे हैं और बाहरी नेता झारखंड को कोई नुकसान नहीं पहुंचा सकते. गोगोई ने यह भी कहा कि जिस तरह से प्रधानमंत्री मोदी की राजनीति राजस्थान में सफल नहीं हुई, उसी तरह भाजपा के नेता भी झारखंड के लोगों को धोखा नहीं दे पाएंगे. उनके इस बयान के बाद झारखंड में राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है.
गोगोई के इस बयान पर झामुमो प्रवक्ता मनोज पांडे ने भी सहमति जताई. उन्होंने कहा कि राजनीतिक पर्यटक सिर्फ घूमने आते हैं और फिर चले जाते हैं. इस समय झारखंड में हेमांता बिस्वा शर्मा और केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान जैसे नेताओं की उपस्थिति को पॉलिटिकल टूरिज्म का उदाहरण बताया. पांडे ने कहा कि ये नेता बड़ी बातें करते हैं, लेकिन जनता को इससे कोई लाभ नहीं होता. यदि जनता को किसी समस्या का सामना करना पड़ता है, तो वे बाबूलाल मरांडी के पास जाएंगी, जो फिर उन्हें बताएंगे कि समस्या का हल असम में ही है.
वहीं, बीजेपी प्रवक्ता प्रतुल शहदेव ने गोगोई के बयान को उनकी निराशा का परिणाम बताया. उन्होंने कहा कि बीजेपी ने हिमांता बिस्वा शर्मा के नेतृत्व में असम में कांग्रेस का राजनीतिक प्रभाव खत्म कर दिया है. शहदेव ने कहा कि हमारी पार्टी पूरे राज्य में भ्रमण कर रही है और हमारी स्थिति मजबूत हो रही है. इसी कारण इंडिया गठबंधन हताश हो चुका है और इसलिए गोगोई जैसे बयान दे रहे हैं.
कांग्रेस प्रवक्ता राकेश सिन्हा ने कहा कि पर्यटन से राज्य की आमदनी तो बढ़ती है, लेकिन इसका विकास पर कोई असर नहीं होता. उन्होंने भी यह बात कही कि हेमांता बिस्वा शर्मा झारखंड के राजनीतिक पर्यटक हैं, जो यहां आकर सामाजिक सौहार्द को बिगाड़ने की बातें कर रहे हैं. इस प्रकार झारखंड में राजनीतिक बयानबाजी का दौर जारी है. सभी पार्टियों के प्रवक्ता एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप कर रहे हैं, जिससे राजनीतिक माहौल गर्म बना हुआ है. इस विवाद से स्पष्ट है कि झारखंड की राजनीति में बाहरी नेताओं के प्रभाव और उनकी नीतियों को लेकर चिंता और असंतोष बढ़ता जा रहा है.
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