Tusu Parv 2025: जमशेदपुर से सटे सरायकेला जिला के उत्तमडीह एक गांव की तस्वीरें दिखा रहे हैं. जहां मिट्टी के घर को रंग दिया गया है. घर के पुरुषों द्वारा चौड़ल तैयार किया जा रहा है.
टुसू पर्व में मकर संक्रांति के दिन इसकी खास तौर पर पूजा की जाती है.
15 दिसंबर के बाद से ही कुंवारी कन्याएं शाम के वक्त टुसू की पूजा करती हैं.
मान्यताओं के अनुसार, टुसू नाम की एक किसान कन्या की याद में टुसू पर्व मनाते हैं.
एक क्रूर राजा की उस पर नीयत खराब हो गई थी और वह उसे पाना चाहता था.
टुसू ने राजा के सामने घुटने टेकने के बजाय जल-समाधि ले ली थी.
टुसू की इस कुर्बानी की याद में ही टुसू पर्व मनाया जाता है.
यही वजह है कि इस पर्व में कुंआरी कन्याएं पूजा करती हैं और डांस करती हैं.
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