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9th House of Horoscope: किसी भी कुंडली में नौ ग्रह और 12 भाव होते हैं. ये नौ ग्रह जिन भावों में मौजूद होते हैं. उनके हिसाब से फल देते हैं साथ ही आपको बता दें कि ग्रहों की कुंडली में कैसी स्थिति है इस पर भी बहुत कुछ निर्भर करता है. अगर कुंडली में ग्रह बेहतर स्थान पर हों और वह उच्च के हों तो जातक को खूब तरक्की दिलाते हैं. आपको बता दें कि कुंडली में घरों को भाव कहा जाता है. ऐसे में कुंडली के 9वें भाव के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं. जो गुरु यानी बृहस्पति से प्रभावित होता है.
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कुंडली का नवां भाव व्यक्ति के धार्मिक चेतना का सूचक होता है. ऐसे व्यक्ति दान-पुण्य और धर्म-कर्म के कामों में बहुत आगे होते हों. गुरु ऐसे जातक को खूब मान-सम्मान दिलाते हैं. यह भाव पूजा-पाठ, ज्ञान और साथ ही विश्वास का भी केंद्र माना जाता है. इसे पितृ भाव भी माना गया है. ऐसे में अगर किसी जातक की कुंडली के 9वें भाव में बुध का प्रभाव हो तो वह जातक को विद्वान बना देता है. ऐसा व्यक्ति रचनात्मक होता है. शोध कार्यों में इनकी रूची होती है. इन्हें खूब मान-प्रतिष्ठा मिलती है.
वहीं चंद्रमा का इस घर में होना जातक को दार्शनिक तक बना देता है. मान-सम्मान और प्रतिष्ठा बढ़ाता है. ऐसे लोग कल्पनाशील होते हैं ऐसे में इन्हें कई बार निर्णय में कठिनाई होती है. हालांकि ऐसे जातक काफी साहसी होते हैं. गुरु अगर इसी भाव में हो तो फिर कहना ही क्या, इस भाव में अगर गुरु उच्च का हो जाए तो जातक को मालामाल कर देता है. ऐसे व्यक्ति विद्वान होते हैं. ये मकान, वाहन सब का सुख पाने वाले होते हैं.
वहीं 9वें भाव में शुक्र हो तो जातक को कला और संगीत के क्षेत्र में खूब नाम दिलाता है. ऐसे जातक शरीर से हृष्ट-पुष्ट होते हैं. ये ईश्वर पर खूब विश्वास करते हैं. वहीं कुंडली के इस भाव में अशुभ ग्रह हो तो जातक को परेशान भी करता है. इस भाव में सूर्य हो तो आपको अपने पुत्र के प्रति चिंता सता सकती है. ऐसे जातक बेहद क्रूर होते हैं. वहीं मंगल का इस भाव में प्रभाव हो तो ऐसे जातकों के जीवन में कई तरह की कानूनी समस्याएं आती रहती है. ऐसे व्यक्ति थोड़े अहंकारी हो जाते हैं. पिता या छोटे भाई से संबंध बेहतर नहीं होंगे. वहीं शनि इस भाव में हो तो आपको अपनी गलतियों से सीख दिलाता है. ये मामले लेने के मामले में कठोर होते हैं. वहीं राहु इस भाव में हो तो जातक को धार्मिक क्षेत्र में रूचि दिलाता है. हालांकि राहु अशुभ हो तो धर्म विरुद्ध आचरण कराता है. दोस्तों से भी संबंध खराब करवाता है. वहीं केतु इस भाव में हो तो परेशानियां बढ़ा देता है. पिता का स्वास्थ्य चिंता का कारण बनता है. यह सगे भाईयों से परेशानी भी दिलाएगा.