Indian Railway: रेलवे के पास कहां से आता है इतना लोहा, क्यों पटरियों में कभी नहीं लगती जंग?

Zee Bihar-Jharkhand Web Team
Nov 24, 2024

रेल नेटवर्क

भारतीय रेलवे दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है. वहीं, रेलवे लाइन की बात करें तो वह हजारों किलोमीटर तक बिछी हुई है. जो हमारे देश को एक छोर से दूसरी छोर तक जोड़ने का काम करती है.

भारतीय रेलवे

चलिए हम आपको बताते हैं कि भारतीय रेलवे के पास कहां से इतना लोहा आता है और कभी रेल की पटरियों पर जंग क्यों नहीं लगती है.

निर्माण

भारतीय रेलवे लोहा का इस्तेमाल ट्रैक, पुल, लोकोमोटिव, वैगनों, अन्य का निर्माण करने के लिए करती है. जो कि मैग्नेटाइट, कोक और लाइमस्टोन से मिलकर बनता है.

फैक्ट्रियां

हमारे देश में मैग्नेटाइट, कोक और लाइमस्टोन की फैक्ट्रियां बहुत ज्यादा है. इन्हीं तीनों को मिलाकर लोहा बनाया जाता है.

कंपनियां

देश में कई ऐसी कंपनियां हैं जहां लोहा का निर्माण होता है. जैसे- सेल, टाटा स्टील, जिंदल, आदि.

रेलवे ट्रैक

तीय रेलवे इन्हीं फैक्ट्रियों से लोहा खरीद रेलवे ट्रैक और अन्य चीजों का निर्माण करने के लिए इस्तेमाल करती है.

लोहा

भारतीय रेलवे लोहा किसी और देश से निर्यात नहीं करती है. देश में ही मौजूद लोहा फैक्ट्रियों से भारतीय रेलवे लोहा प्राप्त करती है.

रेलवे लाइन

बता दें, भारत में रेलवे लाइन की कुल लंबाई लगभग 1 लाख 27 हजार किलोमीटर है. इसमें यार्ड और साइडिंग भी शामिल हैं.

मैंगनीज स्टील

रेलवे ट्रैक को बनाने में इस्तेमाल किए जाने वाला लोहा मैंगनीज स्टील से बना होता है. जिसे 12 फीसदी मैंगनीज और 0.8 फीसदी कार्बन के मिश्रण से बनाया जाता है.

जंग

यहीं वजह है कि रेलवे की पटरियों पर ऑक्सीडेशन का असर नहीं होता है और कई वर्षों तक रेल की पटरियों में जंग नहीं लगती है.

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