ISRO India Moon Mission 2023 Latest Updates: चांद पर फतह पाने की कोशिश में भारत एक कदम और आगे बढ़ गया है. भारत के चंद्रयान- 3 ने सोमवार देर रात कामयाबी के साथ चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश कर लिया.
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Chandrayaan- 3 Reached Moon Orbit Successfully: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने मंगलवार को चंद्रमा पर जाने वाले अंतरिक्ष यान चंद्रयान- 3 (Chandrayaan 3) को ट्रांसलूनर कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया. इसके साथ ही चंद्रमा पर जाने वाले गिने-चुने देशों में शामिल होने वाले मुल्कों की कतार में शामिल होने के लिए भारत एक कदम और आगे बढ़ गया. इसरो के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी.
इसरो ने ट्वीट कर दी जानकारी
चंद्रया- 3 के चंद्रमा (ISRO India Moon Mission 2023) की कक्षा में प्रवेश करने पर इसरो ने ट्वीट किया, 'चंद्रयान-3 (Chandrayaan 3) पृथ्वी के चारों ओर अपनी परिक्रमा पूरी कर ली है और अब वह चंद्रमा की ओर बढ़ गया है. ISTRAC में एक सफल पेरिगी-फायरिंग की गई, इसरो ने अंतरिक्ष यान को ट्रांसलूनर कक्षा में स्थापित कर दिया है. अगला पड़ाव: चंद्रमा. चंद्रयान -ऑर्बिट इंसर्शन (एलओआई) की योजना 5 अगस्त, 2023 को चंद्रमा पर पहुंचाने की है.'
इस दिन लॉन्च हुआ था मिशन
ट्रांसलूनर ऑर्बिट इंजेक्शन वह प्रक्रिया है, जिसके तहत चंद्रमा की ओर जाने वाले अंतरिक्ष यान को एक खास पथ पर डाल दिया जाता है, जिससे वह स्मूथली चंद्रमा तक पहुंच सके. भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि वह 5 अगस्त, 2023 को एलओआई प्रक्रिया को अंजाम देगी. चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान (Chandrayaan 3) को भारत के हेवी लिफ्ट रॉकेट एलवीएम3 द्वारा कॉपीबुक शैली में 14 जुलाई, 2023 को कक्षा में स्थापित किया गया था.
यान के साथ गई हैं ये चीजें
चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान (Chandrayaan 3) में एक प्रणोदन मॉड्यूल (वजन 2,148 किलोग्राम), एक लैंडर (1,723.89 किलोग्राम) और एक रोवर (26 किलोग्राम) शामिल है. इस मिशन का खास मकसद लैंडर को चंद्रमा की धरती पर सुरक्षित उतारना है. चंद्र कक्षा में प्रवेश करने के कुछ दिनों बाद लैंडर प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग हो जाएगा. लैंडर के 23 अगस्त की शाम 5.47 बजे चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास सॉफ्ट लैंडिंग करने की उम्मीद है. लैंडर चंद्रमा की सतह से लगभग 100 किमी की ऊंचाई से चंद्रमा पर उतरेगा.
सॉफ्ट लैंडिंग कराने की कोशिश
सॉफ्ट लैंडिंग एक पेचीदा मुद्दा है, क्योंकि इसमें रफ और फाइन ब्रेकिंग सहित जटिल युद्धाभ्यासों की एक श्रृंखला शामिल होती है. सुरक्षित और खतरा-मुक्त क्षेत्र खोजने के लिए लैंडिंग से पहले लैंडिंग साइट क्षेत्र की इमेजिंग की जाएगी. सॉफ्ट लैंडिंग के बाद छह पहियों वाला रोवर बाहर निकलेगा और एक चंद्र दिवस की अवधि के लिए चंद्र सतह पर प्रयोग करेगा, जो पृथ्वी के 14 दिनों के बराबर है.
कामयाब नहीं हुई थी पिछली लैंडिंग
चंद्रमा की कक्षा में चंद्रयान (Chandrayaan 3) का पहुंचना भी मून मिशन का हिस्सा ही है. 2019 में चंद्रयान-2 की क्रैश लैंडिंग हुई थी. उसका संपर्क टूट गया था. हालांकि जब चंद्रयान-3 चांद की कक्षा में पहुंच जाएगा, उसके बाद भी इसको कई मैनुअर करेगा. 17 अगस्त को लैंडिंग मॉड्यूल को करीब 100 किमी की ऊंचाई पर ले जाकर अलग किया जाएगा. इसके बाद चंद्रयान-3 चंद्रमा के सीने पर 23 अगस्त को लैंड करेगा.
(इनपुट IANS)