Delhi HC on Deepfake: दिल्ली हाई कोर्ट में ये याचिका वकीलों की एक संस्था 'लॉयर वॉयस' की ओर से दायर की थी. याचिकाकर्ता ने पीएम, राहुल गांधी के साथ साथ बॉलीवुड अभिनेता आमिर खान, रणवीर सिंह के डीप फेक वीडियो का हवाला दिया था. याचिकाकर्ता की दलील थी कि चुनाव के दौरान दुष्प्रचार के मकसद से, वोटर को प्रभावित करने के लिए यह डीप फेक वीडियो सर्कुलेट किए जा रहे हैं.
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Delhi High Court: लोकसभा चुनाव को प्रभावित करने के मकसद से सर्कुलेट हो रहे डीपफेक वीडियो पर रोक की मांग को लेकर दायर याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने अपनी ओर से चुनाव आयोग को कोई निर्देश देने से इनकार कर दिया है.
हाईकोर्ट ने कहा कि चुनाव के बीच में हम अपनी ओर से कोई निर्देश चुनाव आयोग को नहीं दे सकते. आयोग अपनी ओर से इस तरह के मामलों में कार्रवाई करने में समर्थ है. हमें आयोग पर भरोसा है.
EC को ज्ञापन देने का आदेश
कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि आप अपनी मांग को लेकर चुनाव आयोग को ज्ञापन दें. कोर्ट ने आयोग से कहा कि वो इस मसले की अर्जेंसी को देखते हुए याचिकाकर्ता की ओर से भेजे गए ज्ञापन पर जल्द से जल्द ( संभव हो तो सोमवार तक) फैसला ले. चुनाव आयोग ने कोर्ट को आश्वस्त किया कि इस मामले में जो जरूरी होगा, वो कदम उठाया जाएगा.
कोर्ट में दायर याचिका में मांग
दिल्ली हाई कोर्ट में ये याचिका वकीलों की एक संस्था 'लॉयर वॉयस' की ओर से दायर की थी. याचिकाकर्ता ने पीएम, राहुल गांधी के साथ साथ बॉलीवुड अभिनेता आमिर खान, रणवीर सिंह के डीप फेक वीडियो का हवाला दिया था. याचिकाकर्ता की दलील थी कि चुनाव के दौरान दुष्प्रचार के मकसद से, वोटर को प्रभावित करने के लिए यह डीप फेक वीडियो सर्कुलेट किए जा रहे हैं. इसलिए जरूरी है कि कोर्ट चुनाव आयोग को निर्देश दे कि वो इसे रोकने के लिए कदम उठाए.
याचिकाकर्ता की दलील
याचिकाकर्ता की ओर से वकील जंयत मेहता ने कहा कि प्रिंट या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में प्रकाशित होने वाले हर विज्ञापन को इलेक्शन कमीशन अपनी ओर से इजाजत देता है. सोशल मीडिया पर डलने वाले कंटेट के लिए भी ऐसी ही व्यवस्था होनी चाहिए.
इस पर कोर्ट ने कहा कि ये व्यवहारिक रूप से मुमकिन नहीं होगा. राजनेता चुनाव में गली, मोहल्ले में जाते हैं अपने समर्थकों को संबोधित करते हैं. कई बार वो कंटेंट सोशल मीडिया पर डाला जाता है. आप चाहते हैं कि नेता अपने समर्थकों को संबोधित करने के लिए आयोग से इजाजत ले, ये व्यवहारिक रूप से संभव नहीं है.
फेक कंटेंट हटाने की समयसीमा
कोर्ट ने कहा कि फेक वीडियो पर रोक लगाने के लिए मौजूदा व्यवस्था सही है. मौजूदा व्यवस्था के मुताबिक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के पास शिकायत मिलने के बाद फर्जी कंटेट को हटाने के लिए 24 घंटे का वक्त होता है. कोर्ट ने कहा कि सोशल मीडिया को इस्तेमाल करने वाले बिलियन लोग हैं. जाहिर है उनके पास हर रोज ऐसे फेक वीडियो की बहुत शिकायतें आती हैं. ऐसे में इस समयसीमा में कोई खामी नजर नहीं आती.
चुनाव आयोग ने कोर्ट से क्या कहा
चुनाव आयोग ने कोर्ट को बताया कि अमित शाह, राहुल गांधी,आमिर खान, रणवीर सिंह के जिन वीडियो का हवाला दिया गया है, उन्हें हटा लिया गया है. इस मामले में एफआईआर भी दर्ज की गई है. सोशल मीडिया प्लेटफार्म ने उन अकाउंट पर रोक लगा दी है, जिनके जरिये ये वीडियो सर्कुलेट हुए थे.
हाई कोर्ट ने कहा कि सोशल मीडिया के जिन अकाउंट से फेक वीडियो बार बार पोस्ट ही रहे हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए और उनके नाम सार्वजनिक किए जाने चाहिए. ऐसा संभव नहीं है कि जिसके जरिये फेक वीडियो पोस्ट करने से ही रोक दिया जाए. लेकिन ऐसे वीडियो पोस्ट होने पर उस अकाउंट को हटाया जा सकता है ताकि फेक कंटेंट को आगे वायरल होने से रोका जा सके.
हालांकि कोर्ट ने आयोग को अपनी ओर से कोई निर्देश देने से इनकार किया. उन्होंने कहा, चुनाव के बीच आयोग को अपनी ओर से कोई निर्देश देना ठीक नहीं है. आयोग ऐसे मामलों में कार्रवाई करने में समर्थ है.