Chhath Puja Sandhya Arghya Time: छठ पर्व में डूबते हुए सूरज को अर्घ्य देने का विशेष महत्व होता है, आज (30 अक्टूबर) को डूबते हुए सूरज को अर्घ्य दिया जाएगा. 31 अक्टूबर को उगते हुए सूरज को अर्घ्य देने के बाद छठ पूजा का समापन होगा.
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Chhath Puja 2022: हर साल कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को छठ पर्व मनाया जाता है. इस महापर्व की शुरुआत दो दिन पहले चतुर्थी तिथि से हो जाती है. इस साल छठ पर्व की शुरुआत 28 अक्टूबर से हो चुकी है. चतुर्थी तिथि को नहाय-खाय, पंचमी को खरना और छठ के दिन डूबते हुए सूरज को अर्घ्य दिया जाता है. छठ पर्व में अर्घ्य का विशेष महत्व माना जाता है. सप्तमी के दिन उगते हुए सूरज को अर्घ्य देने के बाद छठ पूजा का समापन होता है.
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अर्घ्य देने का शुभ मुहुर्त
30 अक्टूबर रविवार के दिन डूबते हुए सूरज को अर्घ्य दिया जाएगा, इस दिन शाम को अर्घ्य देने का विशेष महत्व माना जाता है. शाम को 5 बजकर 34 मिनट पर सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा.
अर्घ्य की सामग्री की लिस्ट
छठ के दिन अर्घ्य देने के बांस की 3 बड़ी टोकरी या सूप लेकर इसमें चावल, दीपक, लाल सिंदूर, गन्ना, हल्दी, सुथनी, फल, सब्जी और शकरकंदी, दूध, नाशपाती, बड़ा नींबू, कैराव, शहद, पान, सुपारी, कपूर, चंदन, और मिठाई भी रखें. अब इसमें प्रसाद के लिए बनाए ठेकुआ, मालपुआ, खीर और लड्डू भी रख लें. अर्घ्य देते समय सारा प्रसाद सूप में रख लें और फिर दीपक जला लें. छठ का डाला सजाकर नदी में उतरें और फिर सूर्य देवता को अर्घ्य दें.
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अर्घ्य देते समय करें इस मंत्र का जाप
'एहि सूर्य सहस्त्रांशो तेजोराशे जगत्पते, अनुकम्पय मां देवी गृहाणार्घ्यं दिवाकर'.
छठ व्रत का महत्व
छठ के दिन महिलाएं निर्जला व्रत रहकर सूर्य देवता और छठ मइया का पूजन करती हैं. पौराणिक मान्यता के अनुसार छठ महापर्व के तीसरे दिन डूबते हुए सूरज को दूध या जल से अर्घ्य दिया जाता है. इस व्रत के प्रभाव से छठ मइया संतान की रक्षा करती हैं.