Gallantry Awards : जान देकर आतंकी को 'जन्नत' पहुंचाने वाले आर्मी डॉग एक्सल को वीरता पुरस्कार, जान लें भारत में इस अवार्ड का मतलब
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Gallantry Awards : जान देकर आतंकी को 'जन्नत' पहुंचाने वाले आर्मी डॉग एक्सल को वीरता पुरस्कार, जान लें भारत में इस अवार्ड का मतलब

Mention in dispatches : पिछले महीने 31 जुलाई को एक सैन्य अभियान के दौरान एक्सल आतंकियों का पता लगाने के लिए उनके ठिकाने में घुस गया था, जिसके बाद आतंकियों ने उस पर गोलियां बरसा दी थीं. गोलियां लगने के बाद भी वह आतंकियों से जा भिड़ा था. 

Gallantry Awards : जान देकर आतंकी को 'जन्नत' पहुंचाने वाले आर्मी डॉग एक्सल को वीरता पुरस्कार, जान लें भारत में इस अवार्ड का मतलब

नई दिल्ली : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर सशस्त्र बलों (Armed Forces) और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (Central Armed Police Forces) को दिए जाने वाले वीरता पुरस्कारों (gallantry awards) को मंजूरी दी. इन वीरता पुरस्कारों में 1 कीर्ति चक्र (Kirti Chakra), 8 शौर्य चक्र (Shaurya Chakra) , 2 ‘बार टू सेना मेडल (Bar to Sena Medal) , 81 सेना मेडल (Sena Medal), 41 को मेंशन इन डिस्पैचिज (Mention in dispatches) अवार्ड शामिल है. जिन 41 लोगों को MiD पुरस्कार से सम्मानित किया गया, उनमें आर्मी का डॉग एक्सल भी शामिल है, जिसे मरणोपरांत वीरता पुरस्कार से नवाजा गया. 

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31 जुलाई को बारामूला (जम्मू कश्मीर) के वानीगाम में सेना और आतंकियों के बीच मुठभेड़ के दौरान आतंकियों ने  29 राष्ट्रीय राइफल में तैनात बेल्जियन मेलिनोइस (Belgian Malinois) नस्ल के डॉग पर गोलियां बरसा दी थीं. 

दरअसल इक इनपुट पर भारतीय सेना ने रात  में आतंकियों के ठिकाने को घेर लिया, लेकिन वे कहां छिपे हैं, यह पता लगाने के लिए सेना ने ऑपरेशन में  साथ आए डॉग एक्सल पर बॉडी कैम फिट कर मकान के अंदर भेज दिया. जब एक्सल एक कमरे को पार कर दूसरे में घुसा, तभी बौखलाए आतंकियों ने उस पर फायरिंग कर दी. डॉग एक्सल को तीन गोलियां लगीं.

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भारतीय सेना ने आतंकी को मार गिराया 

पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक एक्सल ने गोलियां लगने के बाद भी आतंकियों से लड़ा, जिसमें उसे बॉडी पर कई चोटें आईं. बाद में उसने दम तोड़ दिया. इस बीच गोलियों की आवाज सुनने के बाद भारतीय सेना ने भी जवाबी फायरिंग की, जिसमें एक आतंकी मारा गया. इस मुठभेड़ से दो जवान भी घायल हुए थे. 

1947 से दिया जा रहा यह अवार्ड 

मेंशन इन डिस्पैचिज एक प्रकार का सैन्य अभिलेख है, जिसमें दुश्मन का सामना करने वाले वीर जवानों का जिक्र होता है. इसमें उनकी शौर्य और पराक्रम की कहानी बयां की जाती है. एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी यह अभिलेख आलाकमान को भेजता है, जो भेजी गई एक आधिकारिक रिपोर्ट में वर्णित होता है. मेंशन इन डिस्पैचिज अवार्ड 1947 से दिए जा रहे हैं. यह पुरस्कार नेवी, आर्मी, और एयरफोर्स के उन जवानों को दिया जाता है, जो ऑपरेशनल एरिया में अदम्य साहस का परिचय देते हैं.

इस पुरस्कार से सम्मानित होने वाले जवान को संबंधित अभियान पदक के रिबन पर कमल के पत्ते के रूप में एक प्रतीक चिन्ह पहनाया जाता है. यह पुरस्कार मरणोपरांत भी दिया जाता है. इसके अलावा रक्षा मंत्रालय से सम्मान से नवाजे गए जवान को आधिकारिक प्रमाण पत्र भी जारी किया जाता है.

 

 

 

 

 

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