Harnandipuram Township Scheme: जिलाधिकारी दीपक मीना ने बताया कि जीडीए और किसानों के बीच जमीन की कीमत आपसी सहमति से तय की जाएगी. अगर सहमति नहीं बनती है, तो जमीन अधिग्रहण कानून के तहत जमीन ली जाएगी. इस टाउनशिप को विकसित करने में लगभग 10,000 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है.
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GDA Housing Scheme: गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (GDA) ने प्रस्तावित हरनंदीपुरम टाउनशिप के क्षेत्रफल को लगभग 150 हेक्टेयर तक कम करने का निर्णय लिया है. पहले यह टाउनशिप 521 हेक्टेयर में बनने वाली थी, जो लगभग इंदिरापुरम के बराबर है. इसके लिए जीडीए को आठ गांवों से जमीन अधिग्रहण करना था, जिसकी अनुमानित लागत 5,000 करोड़ रुपये थी. यह लागत जीडीए और उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा मुख्यमंत्री अर्बन एक्सपेंशन न्यू सिटी प्रमोशन योजना के तहत समान रूप से साझा की जानी थी.
तीन गांवों की जमीन अधिग्रहण से बाहर
गाजियाबाद विकास प्राधिकरण के सचिव राजेश कुमार सिंह ने यूपी सरकार के निर्देश पर गठित छह सदस्यीय पैनल को बताया कि जीडीए ने फिलहाल तीन गांवों की भूमि का अधिग्रहण न करने का निर्णय लिया है. इन तीन गांवों से कुल 150 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहण की जानी थी:
वित्तीय स्थिति के चलते निर्णय
राजेश कुमार सिंह ने कहा कि GDA की वित्तीय स्थिति इतनी मजबूत नहीं है कि वह एक साथ सभी आठ गांवों की जमीन खरीद सके.
127 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण बाकी
अब जीडीए को निम्नलिखित गांवों से लगभग 127 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहण करनी है.
बाकी लगभग 242 हेक्टेयर जमीन जीडीए के पास पहले से है या ग्राम सभा की भूमि है.
भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया और दरें
गाजियाबाद के जिलाधिकारी दीपक मीणा ने बताया कि गुरुवार को हुई बैठक में जमीन अधिग्रहण की दरों पर चर्चा हुई. पैनल ने फैसला किया कि भूमि अधिग्रहण की दरें जीडीए और किसानों के बीच आपसी सहमति से तय की जाएगी. यदि सहमति नहीं बनी तो भूमि अधिग्रहण अधिनियम के तहत भूमि अधिग्रहण किया जाएगा.
लैंड सर्वे का निर्देश
डीएम ने कहा कि जीडीए को तुरंत भूमि सर्वे शुरू करने के निर्देश दिए गए हैं. उन्होंने कहा कि तीन गांवों को बाहर करने के बाद अब केवल 127 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण करना होगा.
हरनंदिपुरम टाउनशिप का दायरा
पिछले साल अगस्त में जीडीए बोर्ड की बैठक में मंजूर नक्शे के अनुसार हरणंदिपुरम टाउनशिप का विस्तार होगा.
परियोजना की कुल लागत
इस टाउनशिप के विकास पर लगभग 10,000 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है. इसमें से लगभग 50% राशि केवल भूमि अधिग्रहण में खर्च होगी.
छह सदस्यीय समिति का गठन
भूमि अधिग्रहण की लागत 10 करोड़ रुपये से अधिक होने के कारण सरकार के आदेश के अनुसार छह सदस्यीय समिति बनाई गई है. इस समिति में शामिल हैं.
इस समिति का कार्य भूमि अधिग्रहण दरें तय करना और पूरी प्रक्रिया की निगरानी करना है.
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