Greater Noida: जलपुरा और पौवारी गोशाला में बायो सीएनजी प्लांट लगेगा, लोगों को होगी सहूलियत
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Greater Noida: जलपुरा और पौवारी गोशाला में बायो सीएनजी प्लांट लगेगा, लोगों को होगी सहूलियत

Greater Noida Authority: गोबर से प्राप्त बायो सीएनजी फ्यूल को बेचने से जो आमदनी होगी, उसका उपयोग गोशालाओं के संचालन पर खर्च किया जाएगा. इस परियोजना के लिए एस-3 फ्यूल कंपनी का चयन किया गया है.

Greater Noida: जलपुरा और पौवारी गोशाला में बायो सीएनजी प्लांट लगेगा, लोगों को होगी सहूलियत

NCR News: ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने गोबर से बायो सीएनजी फ्यूल बनाने की योजना की शुरुआत की है. यह पहल जलपुरा और पौवारी गोशालाओं में लागू की जाएगी. इस योजना का मुख्य उद्देश्य गोवंशों के गोबर का उपयोग करके स्व-वित्त पोषित गोशालाओं का निर्माण करना है. यह न केवल गोबर के उचित उपयोग को बढ़ावा देगा, बल्कि गोशालाओं के रखरखाव के लिए भी आमदनी का स्रोत बनेगा. 

बायो सीएनजी प्लांट की स्थापना
जलपुरा गोशाला में बायो सीएनजी प्लांट लगाने के लिए रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल जारी किया गया है. इस परियोजना के लिए एस-3 फ्यूल कंपनी का चयन किया गया है. कंपनी को अवॉर्ड लेटर जारी कर दिया गया है और वह जल्द ही प्लांट लगाने का कार्य शुरू करेगी। यह प्लांट लगभग 17 करोड़ रुपये की लागत से स्थापित किया जाएगा. 

गोबर की प्रोसेसिंग की प्रक्रिया
इस प्लांट में प्रतिदिन 50 टन गोबर को प्रोसेस किया जाएगा. यदि जलपुरा गोशाला से पर्याप्त मात्रा में गोबर नहीं मिलता है तो आसपास के गांवों से गोबर और घरेलू कचरा भी लाया जाएगा. इससे न केवल गोबर का सही उपयोग होगा, बल्कि आसपास की सफाई व्यवस्था में भी सुधार होगा. कंपनी खुद के पैसे से इसे बनाकर 15 साल तक चलाएगी. इन 15 वर्षों में प्राधिकरण को लगभग 6.48 करोड़ रुपये मिलेंगे।

फ्यूल की आमदनी गोशालाओं पर होगी खर्च 
गोबर से प्राप्त बायो सीएनजी फ्यूल को बेचने से जो आमदनी होगी, उसका उपयोग गोशालाओं के संचालन पर खर्च किया जाएगा. प्राधिकरण के ओएसडी अभिषेक पाठक का कहना है कि इस पहल से गोबर प्रोसेसिंग के साथ-साथ आमदनी भी होगी, जिससे गोशालाओं के संचालन में सहायता मिलेगी. 

पौवारी गोशाला के लिए नई निविदा
जलपुरा के साथ-साथ प्राधिकरण ने पौवारी गोशाला के लिए भी रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल जारी किया है. आवेदन की अंतिम तिथि 19 दिसंबर है. इससे पहले 11 दिसंबर को प्रीबिड मीटिंग होगी. पौवारी गोशाला में भी 50 टन प्रतिदिन क्षमता का प्लांट लगाने का अनुमान है. यह योजना न केवल गोवंशों की देखभाल में सुधार लाएगी, बल्कि स्थानीय समुदाय के लिए भी आर्थिक लाभ का स्रोत बनेगी.