ग्रेटर नोएडा में बिजली देने वाली कंपनी का कार्यकाल महीने के अंत तक खत्म हो जाएगा. योगी सरकार इस कंपनी का अधिग्रहण कर सकती है. इस कंपनी के खिलाफ बिजली की दर बढ़ाने पर कई बार हंगामा भी हो चुका है.
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ग्रेटर नोएडा: उत्तर प्रदेश सरकार पिछले तीन दशकों से ग्रेटर नोएडा में उपभोक्ताओं को बिजली की आपूर्ति करने वाली राज्य की पहली बिजली वितरण कंपनी नोएडा पावर कंपनी लिमिटेड (एनपीसीएल) का अधिग्रहण कर सकती है. सरकार ने कंपनी को लाइसेंस रद्द करने के लिए नोटिस जारी किया है. ऊर्जा विभाग के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक कंपनी के वितरण लाइसेंस की वैधता अगले साल 29 अगस्त को समाप्त हो रही है और राज्य सरकार ने कंपनी का अधिग्रहण करने का मन बना लिया है.
दरअसल, उत्तर प्रदेश सरकार ने ग्रेटर नोएडा में बिजली सप्लाई करने के लिए एनपीसीएल को विद्युत अधिनियम 1910 के तहत 30 वर्षों के लिए लाइसेंस दिया था. यह लाइसेंस 30 अगस्त 1993 में दिया गया था, जिसके बाद अब 30 अगस्त 2023 को लाइसेंस की अवधि समाप्त हो रही है. योगी सरकार से मिली जानकारी के मुताबिक सरकार ने विद्युत अधिनियम 1910 समाप्त कर दिया है और 2003 लागू हो चुका है. जिसके तहत अब पूर्ववर्ती राज्य विद्युत परिषद चाहे तो नोएडा पावर कंपनी लिमिटेड को समय से पहले ही नोटिस देकर टेकओवर कर सकता है, क्योंकि इस कंपनी को लाइसेंस 1910 अधिनियम के तहत दिया गया था और वह अधिनियम अब समाप्त हो चुका है.
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गौरतलब है कि करीब डेढ़ महीने पहले वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए हाईलेवल ऑनलाइन बैठक हुई थी. इस बैठक के दौरान जन सुनवाई हुई थी, यह जनसुनवाई एनपीसीएल और ट्रांसमिशन कॉर्पोरेशन के टैरिफ को लेकर हुई थी. सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष और राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने मुद्दा उठाया था कि एनपीसीएल द्वारा एवरेज बिलिंग से ज्यादा पैसा वसूला गया है. जबकि, औसत विद्युत लागत बेहद कम है. उन्होंने मुद्दा उठाया कि औसत विद्युत लागत कम होने के बावजूद भी बिजली की दर कम क्यों नहीं की गई है? अब एक महीने बाद एनपीसीएल ने बिजली की दरें कम कर दी हैं.
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