YAMUNANAGAR CRIME: परिजनों ने बताया कि उन्होंने एक-एक बच्चे के लिए तीन से पांच-पांच लाख रुपये अस्पताल में कार्यरत नर्स इंदु को दिए हैं, जिसने सरकारी नौकरी लगवाने का झांसा दिया था. पैसे लेने के पश्चात महिला ने युवकों को जॉइनिंग लेटर भी थमा दिए जो बाद में फर्जी साबित हुए.
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YAMUNANAGAR CRIME: सरकारी नौकरी लगवाने के मुंगेरीलाल के हसीन सपने दिखाकर लाखों रुपये लेकर फर्जी जॉइनिंग लेटर थमा दिए, लेकिन हाथ में लेटर आने के बाद भी जब जॉइनिंग नहीं हुई तो परिजनों ने आरोप लगाया है कि सिविल अस्पताल में ही नर्स के पद पर कार्यरत महिला ने उन्हें 3 महीने सिविल अस्पताल में काम करवाया और बाद में हाथ खड़े कर दिए. 3 महीने काम करने के बाद भी जब युवकों को अस्पताल से वेतन न मिला तो पीड़ित के परिजनों ने भागदौड़ की तो पता चला कि उनकी जॉइनिंग कहीं हुई ही नहीं और उनके हाथों में पकड़ाएं गए जॉइनिंग लेटर फर्जी हैं.
परिजनों ने आज सिविल सर्जन से मिलकर पैसे वापस लौटाने की गुहार लगाई और बाद में जमकर बवाल काटा. यमुनानगर के सिविल अस्पताल में सिविल सर्जन से मिलने के लिए आज 15 से अधिक युवकों के परिजन पहुंचे तथा सिविल सर्जन डॉ. मंजीत सिंह से मिलकर अपनी आपबीती सुनाते हुए कहा कि उन्होंने एक-एक बच्चे के लिए तीन से पांच-पांच लाख रुपये अस्पताल में कार्यरत नर्स इंदु को दिए हैं, जिसने सरकारी नौकरी लगवाने का झांसा दिया था. पैसे लेने के पश्चात महिला ने युवकों को जॉइनिंग लेटर भी थमा दिए जो कि बाद में फर्जी साबित हुए.
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युवकों के परिजनों ने आरोप लगाया कि महिला नर्स द्वारा उनसे पैसे लिए गए. इसके बाद पहले तो उसने जॉइनिंग लेटर देने में देरी की बाद में जॉइनिंग लेटर देने के साथ-साथ अस्पताल में भी उनसे 3 महीने तक बिना सैलेरी के काम करवाया. 3 महीने के पश्चात जब उन्हें सैलेरी नहीं मिली तो वह पैसे लेने के लिए प्रयास करने लगे तो पता चला कि न तो उनकी कहीं जॉइनिंग हुई है और न ही उन्हें दिया गया. जॉइनिंग लेटर असली है. तीन लाख से लेकर पांच-पांच लाख देने वाले परिजनों को जब यह बात पता चली कि उनके बच्चों के नियुक्ति पत्र फर्जी हैं तो उनके पांव तले की जमीन खिसक गई.
आज परिजनों ने सिविल सर्जन डॉ. मनदीप सिंह से मुलाकात कर उनसे नर्स इंदु के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई करने तथा नौकरी की आवाज में लिए गए लाखों रुपये वापस दिलाने की मांग की. वहीं सिविल सर्जन डॉक्टर मंजीत सिंह ने कहा कि यदि किसी बीच स्टाफ के सदस्य ने ऐसा किया है तो उसके विरुद्ध कार्रवाई करना पुलिस और न्यायालय का काम है. हालांकि मैंने विभागीय तौर पर मौखिक तौर पर आई शिकायत के आधार पर मौखिक रूप से नर्स से पूछा तो उसने पैसा लेने से इनकार किया है.
(इनपुटः कुलवंत सिंह)