कौन कहता है, आसमान में छेद नहीं होता, एक सिक्का तो तबीयत से उछालो यारो. यह कहावत बिल्कुल सटीक बैठती है रेवाड़ी के गांव सुलझा की बेटी जिया पर, जिसने अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए दिन रात मेहनत कर एनडीए क्वालिफाइड किया. अब वह लेफ्टिनेंट बनकर रेवाड़ी पहुंची.
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Rewari News: कौन कहता है, आसमान में छेद नहीं होता, एक सिक्का तो तबीयत से उछालो यारो. यह कहावत बिल्कुल सटीक बैठती है रेवाड़ी के गांव सुलझा की बेटी जिया पर, जिसने अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए दिन रात मेहनत कर एनडीए क्वालिफाइड किया. अब वह लेफ्टिनेंट बनकर रेवाड़ी पहुंची. अपने घर पहुंचते ही जिया को उसके पिता ने गले लगा लिया और खुशी से उनकी आंखें भर आई.
जिया ने बताया कि उसने 12वीं कक्षा में ही एनडीए में जाने की ठान ली थी. चार से पांच महीने की तैयारी के बाद उसने लिखित एग्जाम दिया, जिसमें वह क्वालिफाइड हुई और उसके बाद अब एसएसबी को क्वालीफाई कर लेफ्टिनेंट बन अपने घर पहुंची हैं. जिया ने कहा कि परिवार से मिले सपोर्ट के कारण ही यह सब संभव हो पाया है. मेरे पिता ऑटो ड्राइवर है, लेकिन उसके बावजूद भी उन्होंने मुझे कभी पैसे की दिक्कत नहीं आने दी.
जिया के पिता मोहनलाल ने बताया कि उनकी बेटी ने इस मुकाम पर पहुंचकर न केवल परिवार का बल्कि पूरे जिले का नाम रोशन किया है. उन्होंने कहा कि सभी माता-पिताओं को अपने बच्चों को पढ़ना चाहिए, ताकि वह उनका नाम रोशन कर सके. इसके साथ ही खुद का भविष्य भी बना सके. वहीं जिया की बहन पारुल को अपनी बहन के इस मुकाम पर पहुंचने पर बेहद खुशी है. जिया रात भर पढ़ाई करती थी और पारुल का सपना है कि जिया की तरह मेहनत करके CA बनकर अपने परिवार का नाम रोशन करें.
जिया के दादा होशियार सिंह गांव सुलखा के सरपंच रह चुके हैं. उन्होंने बताया कि जिया ने अपनी 12वीं की पढ़ाई गांव के ही सरकारी स्कूल में की. उसके बाद गुरुग्राम में 6 महीने की कोचिंग के बाद घर में ही तैयारी की. उन्होंने कहा कि बेटा और बेटी दोनों को एक सामान समझकर शिक्षित करना चाहिए, ताकि वह परिवार, गांव और देश का नाम रोशन कर सके.
Input: Naveen