'जल और भूमि युद्ध' से नए किसान आंदोलन का आगाज, जमीन अधिग्रहण का मुआवजा बढ़ाने व SYL पर होगा प्रदर्शन
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'जल और भूमि युद्ध' से नए किसान आंदोलन का आगाज, जमीन अधिग्रहण का मुआवजा बढ़ाने व SYL पर होगा प्रदर्शन

हरियाणा में जमीन अधिग्रहण के खिलाफ बड़े किसान आंदोलन का आगाज हो गया है. जल और भूमि युद्ध के नाम से किसान सरकार से दो-दो हाथ करने को तैयार हो गए हैं.

'जल और भूमि युद्ध' से नए किसान आंदोलन का आगाज, जमीन अधिग्रहण का मुआवजा बढ़ाने व SYL पर होगा प्रदर्शन

जगदीप/ झज्जर: हरियाणा में जमीन अधिग्रहण के खिलाफ बड़े किसान आंदोलन का आगाज हो गया है. जल और भूमि युद्ध के नाम से किसान सरकार से दो-दो हाथ करने को तैयार हो गए हैं. किसानों के आन्दोलन के एलान के साथ केएमपी एक्सप्रेसवे (KMP Expressway) के साथ साथ बनने वाला ऑर्बिटल रेल कॉरिडोर (Haryana Orbital Rail Corridor) खतरे में पड़ता नजर आ रहा है. नए साल की शुरुआत में ही कुंडली मानेसर एक्सप्रेसवे (kundali Manesar Expressway) पर किसानों का धरना शुरू हो रहा है.

5 जनवरी को मांडौठी गांव के पास केएमपी टोल पर किसानों का धरना शुरू हो जाएगा. झज्जर और सोनीपत जिले के किसानों से ये आंदोलन शुरू होगा और धीरे-धीरे पूरे हरियाणा के किसानों को आंदोलन से जोड़ा जाएगा. इस आंदोलन की अगुवाई करने वाले किसान नेता (Kisan Leader) और सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के वकील रमेश दलाल ने सरकार से 24 घंटे में भूमि लेने के कानून को रद्ध करने और किसानों को चार गुणा मुआवजा देने की मांग की है.

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केएमपी एक्सप्रेसवे के साथ करीबन 127 किलोमीटर लंबा ऑर्बिटल रेल कॉरिडोर बनना है. इसके लिए झज्जर और सोनीपत के किसानों की जमीन भी अधिग्रहित की जानी है. झज्जर जिले के 17 गांवों में करीबन 150 हैक्टेयर जमीन एक्वायर की गई है. इसके लिए क्लेक्टर रेट के आधार पर करीबन 340 करोड़ रूपये का मुआवजा घोषित किया गया है. किसानों का कहना है कि मुआवजा बेहद कम दिया जा रहा है. गुस्साए किसानों ने मांडौठी के दलाल भवन में किसान पंचायत की. किसान पंचायत में ही आंदोलन का फैसला लिया गया है. नेशनल हाईवे 9 (NH-9) के साथ लगते केएमपी टोल को आंदोलन का केन्द्र बिन्दु बनाते हुए स्थाई धरना शुरू किया जाएगा और टोल भी फ्री करवाया जाएगा.

रमेश दलाल का कहना है कि रोड के साथ लगती जमीन का मुआवजा दोगुना दिया जाता है, लेकिन वो भी नहीं दिया गया और ना ही किसानों का रिहैबलिटेशन किया गया. रमेश दलाल ने बताया कि ये पूरे हरियाणा की लड़ाई है. इसलिए इस आन्दोलन को जल और भूमि युद्ध का नाम दिया गया है. रमेश दलाल ने दावा किया कि साल 2023 में एसवाईएल (SYL) का मुद्धा भी हल करवाएंगे और हरियाणा , राजस्थान और दिल्ली को उसके हक का पानी मिलेगा.

किसानों की पंचायत में एक बात साफ-साफ कही गई है. जल और भूमि युद्ध नाम से शुरू हो रहे इस आंदोलन में राजनेताओं की एंट्री को पूरी तरह से बैन किया गया है. रमेश दलाल ने बताया कि फरवरी महीने में पूरे हरियाणा के किसानों की एक बड़ी पंचायत भी की जाएगी जिसकी तारीख बाद में तय की जाएगी.

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