Delhi Assembly Election 2025: अरविंद केजरीवाल ने 2013 में पहली बार चुनाव लड़ा और राजनीति के पुराने हिसाब को बदल दिया. भाजपा को बहुमत के करीब पहुंचने के बावजूद सरकार बनाने का मौका नहीं मिला. फिर 2015 में AAP ने भाजपा को बड़ी हार दी और 70 में से 67 सीटें जीत लीं. 2020 में आप ने 62 सीटों पर जीत दर्ज की, जबकि भाजपा 8 पर सिमट गई. अब देखना होगा कि 2025 में कौन कितने पर जीत दर्ज करेगा.
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BJP vs AAP Delhi Election 2025 : दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजों को लेकर चर्चाएं तेज हैं. 5 फरवरी को मतदान खत्म होने के बाद आए एग्जिट पोल्स ने राजनीतिक हलचल और बढ़ा दी है. अधिकतर सर्वे भाजपा को बढ़त देते दिख रहे हैं, कुछ AAP की वापसी का दावा कर रहे हैं और कांग्रेस के खाता खोलने की संभावना भी जताई जा रही है, लेकिन क्या एग्जिट पोल हमेशा सटीक होते हैं? क्या वाकई दिल्ली की सियासत में बड़ा बदलाव होने वाला है या फिर नतीजे एक बार फिर चौंकाने वाले होंगे.
AAP और भाजपा की लड़ाई का इतिहास
दिल्ली में 2013 से राजनीति की तस्वीर पूरी तरह बदल चुकी है. अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (AAP) ने 2013 में पहली बार चुनाव लड़ा और राजनीतिक समीकरणों को उलट कर रख दिया. भाजपा को बहुमत के करीब पहुंचने के बावजूद सरकार नहीं बना सकी, और AAP ने कांग्रेस के समर्थन से सरकार बना ली. लेकिन 48 दिनों बाद इस्तीफा देकर केजरीवाल ने नया चुनाव कराया, जहां 2015 में AAP ने भाजपा को करारी शिकस्त दी और 70 में से 67 सीटें जीत लीं. इसके बाद 2020 के चुनाव में भाजपा ने पूरी ताकत झोंकी, लेकिन AAP ने 62 सीटों पर जीत दर्ज की, जबकि भाजपा 8 पर सिमट गई. कांग्रेस की स्थिति और खराब हो गई, वह लगातार दो चुनावों में खाता भी नहीं खोल पाई.
2025 के एग्जिट पोल और दिल्ली की हवा
इस बार के एग्जिट पोल्स भाजपा को बढ़त दिखा रहे हैं, लेकिन क्या ये नतीजों के करीब होंगे? पिछली बार 2020 में भी सर्वे ने AAP की जीत दिखाई थी, लेकिन उसे मिले 62 सीटों का अनुमान नहीं लगा सके थे. 2015 में तो एग्जिट पोल्स AAP की लहर को पूरी तरह भांपने में नाकाम रहे थे. अगर इस बार के पोल्स सही साबित होते हैं, तो दिल्ली में भाजपा पहली बार सरकार बना सकती है, लेकिन अगर AAP फिर से सत्ता में लौटती है, तो यह साबित करेगा कि केजरीवाल की पकड़ अब भी मजबूत है. कांग्रेस के लिए ये चुनाव संजीवनी हो सकता है, अगर वह कुछ सीटें जीतने में सफल होती है.
8 फरवरी का इंतजार
राजनीति में कुछ भी संभव है. दिल्ली के मतदाता अक्सर चौंकाने वाले फैसले लेते हैं. 8 फरवरी को चुनावी नतीजे आएंगे और तय होगा कि दिल्ली की सत्ता भाजपा के हाथ जाती है या AAP फिर कमाल दिखाती है.
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