MCD का बजट पास होने पर आप विधायक दिलीप पांडे ने भाजपा पर बोला हमला. उन्होंने कहा कि BJP ने दिल्ली की चुनी हुई सरकार को बाईपास कर मेयर चुनाव से पहले जबरदस्ती बजट पास कराया है.
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नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और विधायक दिलीप पांडे ने आज पार्टी मुख्यालय में एक महत्वपूर्ण विषय पर प्रेसवार्ता को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने बीजेपी पर हमला बोलते हुए कहा कि भाजपा ने दिल्ली की चुनी हुई सरकार को बाईपास कर मेयर चुनाव से पहले जबरदस्ती बजट पास कराया है. उन्हें यह बजट वापस लेना होगा. भाजपा ने पहले मेयर चुनाव नहीं होने दिया और अब अफसरों की मदद से बजट पास कर दिया. भाजपा ने लोकतंत्र का मजाक उड़ाते हुए अफसरों से कहा कि चुने हुए पार्षद और मेयर सहित सब भाड़ में जाएं, तुम लोग बजट पास कर दो.
दिलीप पांडे ने आगे कहा कि भाजपा संवैधानिक जनादेश को दरकिनार कर अधिकारियों से बजट पास करवाकर सीधे दिल्ली की जनता के जनादेश को अपने राजनीतिक जूते की नोंक पर रख रही है. उन्होंने कहा कि देश में लोकतंत्र को समाप्त करने के लिए भाजपा दिल्ली में छोटे स्तर पर एक प्रयोग कर रही है. इसमें सफल होने पर इसे अन्य राज्यों में दोहराएगी. भाजपा के गैरसंवैधानिक दृष्टिकोण और तानाशाही रवैये के परिणाम सामने आ रहे हैं. उन्होंने कहा कि भाजपा असल में लोकतंत्र की हत्या करना चाहती है. लोकतंत्र की लाश को गिद्ध नोच रहे हैं. भाजपा लोकतांत्रिक मूल्यों का मजाक उड़ा रही है. भाजपा ने लोकतंत्र की हत्या करने का जो दुस्साहस किया. उसके लिए उन्हें देश और दिल्ली की जनता से माफी मांगी चाहिए. हमारी मांग है कि भाजपा और अधिकारी इस तरह का कोई भी गैर-संवैधानिक कदम न उठाएं और चुनी हुई सरकार को अपना काम करने दें.
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विधायक दिलीप पांडे ने कहा कि दिल्ली की जनता ने आम आदमी पार्टी को दिल्ली नगर निगम चुनाव में जिताया. इसके बावजूद भाजपा ने गुंडे-लफंगो की मदद से ‘आप’ पार्षदों की शपथ नहीं होने दी. जब दूसरी बार नगर निगम में शपथ के लिए सदन बुलाया गया तो भाजपा ने पूर्व नियोजित तरीके से सदन को स्थगित किया और मेयर का चुनाव नहीं होने दिया. अब भारतीय जनता पार्टी के इशारे पर एलजी और अधिकारी जनादेश को नजरअंदाज कर रहे हैं. भाजपा ने निर्वाचित लोकतंत्र का मजाक उड़ाते हुए अफसरों से कहा कि लोकतंत्र, चुने हुए पार्षद और मेयर सब भाड़ में जाएं. तुम लोग बजट पास कर दो, हालांकि अधिकारी ऐसा नहीं कर सकते हैं.
AAP विधायक दिलीप पांडे ने उदाहरण देते हुए कहा कि मान लीजिए मैं अपने घर पर पौधों की देखभाल के लिए एक माली और सफाईकर्मी रखता हूं. अब मेरे घर में क्या खाना बनेगा और पैसा कहां से आएगा, इस सबका हिसाब यह दोनों लोग मिलकर तय करने लगें? घर का मालिक होते हुए मुझे कुछ भी पता न हो, तो क्या ऐसा हो सकता है? इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि लाशों के साथ गिद्ध जो करता है, उसी तरह का व्यवहार हमारे लोकतंत्र के साथ हो रहा है. इस वाक्य में जो लाश है वह हमारे लोकतंत्र की है, जिसे गिद्ध नोच रहा है, उसकी धज्जियां उड़ा रहा है. ठीक उसी प्रकार से भाजपा लोकतांत्रिक मूल्यों का मजाक उड़ा रही है. भाजपा संवैधानिक जनादेश के आगे जाकर अपने अधिकारियों से बजट पास कराके सीधे-सीधे दिल्ली की जनता के जनादेश को अपने राजनीतिक जूतों की नोंक पर रख रही है.
उन्होंने कहा कि यह एक प्रयोग है. अगर यह प्रयोग सफल हुआ और सब चुप-चाप रहे तो इसी प्रयोग को आगे चलकर बड़े पैमाने पर लागू किया जाएगा. इसे अलग-अलग राज्यों में अपनाया जाएगा. जैसा कि हम तमिलनाडु, पुडुचेरी और पश्चिम बंगाल के अंदर भी होता देख चुके हैं कि किस प्रकार से भाजपा ने चुनी हुई सरकार को बाईपास करने की कोशिश की है. हमें यह समझना होगा कि हमारा देश लोकतांत्रिक देश है. यहां तानाशाही और राजशाही नहीं है. जिन देशों में यह व्यवस्था है. उसकी धज्जियां उड़ी हुई हैं. हम पाकिस्तान की हालात ही देख लें कि वहां कितना कमजोर लोकतांत्रिक संवैधानिक ढांचा है. इसी तरह बहुत सारे देश हैं. जहां लोकतंत्र-संविधान नहीं है. भाजपा क्यों चाहती है कि हम उन देशों के रास्ते पर चलें और अपना सत्यानाश करा लें.
भाजपा संविधान को पढ़ें
विधायक दिलीप पांडे ने कहा कि मुझे लगता है कि भारतीय जनता पार्टी ने चुनी हुई सरकार को बाईपास कर मेयर चुनाव से पहले जबरदस्ती बजट पास करने की घिनौनी हरकत की है. उन्हें यह बजट वापस लेना चाहिए. भाजपा ने लोकतंत्र की हत्या करने का जो दुस्साहस किया. उसके लिए देश और दिल्ली की जनता से माफी मांगनी चाहिए. हालांकि यह अपराध क्षमा योग्य नहीं है।, लेकिन हमें लगता है कि जनता का दिल बहुत बड़ा है. क्या पता उनको माफ कर दें. आम आदमी पार्टी भाजपा की इस हरकत की घोर निंदा करती है. हमारी मांग है कि इस तरह का कोई भी गैर-संवैधानिक कदम भाजपा और अधिकारी न उठाएं. वह डॉ. भीमराव आंबेडकर साहब के लिखे हुए संविधान को पढ़ें और उसका पालन करें. वह चुनी हुई सरकार जिसे भारत के संविधान और एक्ट में बजट पास करने का अधिकार मिला है, उसे अपना काम करने दें.