New Delhi Railway Station Stampede: जान बचाने के लिए ग्रिल पर चढ़े, 10 मिनट में कई लोगों की मौत देखी... बुराड़ी की किरण ने सुनाई आपबीती
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New Delhi Railway Station Stampede: जान बचाने के लिए ग्रिल पर चढ़े, 10 मिनट में कई लोगों की मौत देखी... बुराड़ी की किरण ने सुनाई आपबीती

New Delhi Railway Station: किरण ने बताया कि उन 10 मिनटों में जब वह और उनकी बहन अपनी जान के लिए लटके हुए थे, लोग मदद के लिए चिल्ला रहे थे. दस आदमी तुरंत ही मर गए. उन्होंने कहा, मैंने कल जो अपनी आंखों से देखा उसके बाद मुझे बहुत अजीब लग रहा है. 

New Delhi Railway Station Stampede: जान बचाने के लिए ग्रिल पर चढ़े, 10 मिनट में कई लोगों की मौत देखी... बुराड़ी की किरण ने सुनाई आपबीती

New Delhi Railway Station Stampede: शनिवार रात को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म 14 पर एक भयानक हादसे में 18 लोगों की मौत हो गई. इस घटना को लेकर महाकुंभ जा रही बुराड़ी की किरण कुमारी (35) ने अपनी आपबीती सुनाई. उन्होंने कहा, "मैं सांस नहीं ले पा रही थी क्योंकि भीड़ ने मुझे घेर लिया था. लोग मुझ पर चल रहे थे. मैंने अपनी बहन को सीढ़ियों पर खींचा और हम लोहे की ग्रिल पर चढ़ गए. पीछे से धक्का आ रहा था, मगर हम लटके रहे. जानें किरण कुमारी की अपबीती. 

10 मिनट का डरावना मंजर 
किरण ने बताया कि उन 10 मिनटों में जब वह और उनकी बहन अपनी जान के लिए लटके हुए थे, लोग मदद के लिए चिल्ला रहे थे. दस आदमी तुरंत ही मर गए. उन्होंने कहा, मैंने कल जो अपनी आंखों से देखा उसके बाद मुझे बहुत अजीब लग रहा है. 

कैंसर पीड़ित की रिकवरी की प्रार्थना के लिए जा रहे कुंभ
किरण के पति के भाई शैलेन्द्र पोद्दार (38), इस भगदड़ में पैर टूटने के बाद लोक नायक अस्पताल में भर्ती हैं. किरण ने बताया कि उनका परिवार महाकुंभ जा रहा था और उन्होंने प्रयागराज एक्सप्रेस की टिकटें बुक की थीं. उन्होंने कहा कि शैलेन्द्र कैंसर से पीड़ित हैं और हम उनकी रिकवरी के लिए प्रार्थना करने जाना चाहते थे. पहले मेरे परिवार ने भीड़ के कारण यात्रा करने से मना किया था, लेकिन फिर उन्होंने सहमति दी और हम ने आखिरी समय में टिकट बुक की.  

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ट्रेन में कर रहे थें परिजनों का इंतजार
उन्होंने कहा कि मेरा बेटे विवेक (14) और मैं अपने घर से जल्दी पहुंचे. ट्रेन रात 9 बजे प्लेटफार्म नंबर 14 पर खड़ी थी. हम अंदर बैठे और अपनी बहन आरती (27) और शैलेन्द्र का इंतजार करने लगे. एक घंटे बाद, किरण को अपनी बहन का फोन आया कि भीड़ बहुत बड़ी है. किरण ने बताया कि वे दोनों प्लेटफार्म की पहचान नहीं कर पा रहे थे, क्योंकि एक साथ कई घोषणाएं की जा रही थीं. बहुत भ्रम था और लोग बार-बार सीढ़ियों पर चढ़ और उतर रहे थे.  

परिजनों को लेने के लिए निकली
किरण ने देखा कि फुटओवर ब्रिज और प्लेटफार्म 14, 15 और 16 पर लोग भरे हुए थे. अपने बेटे को ट्रेन पर रहने के लिए कहकर, किरण बाहर गईं ताकि अपने परिवार को देख सकें. कुछ ही मिनटों में, पूरा प्लेटफार्म हजारों लोगों से भर गया. उन्होंने कहा कि तभी मैंने अपनी बहन और शैलेन्द्र को सीढ़ियों से नीचे आते देखा, मगर बहुत ज्यादा भीड़ थी. 

जान बचाने के लिए लोहे की ग्रिल पर चढ़ गए
मगर किरण ने अपने परिजनों तक पहुंचने में सफलता पाई और वे ग्रिल को पकड़े रहे. हालांकि, शैलेन्द्र का पैर ग्रिल और सीढ़ी के बीच फंस गया और उनका पैर टूट गया. किरण ने कहा, मैंने और मेरी बहन ने उसे ऊपर खींचने की कोशिश की, लेकिन तब तक उसका पैर टूट चुका था और वह दर्द में चिल्ला रहा था. 

भगदड़ मच जाने के बाद पुलिस अधिकारी पहुंचे, एंबुलेंस आईं और मृतकों को स्ट्रेचर पर ले जाया गया. उन्होंने कहा कि ऐसी कभी कुछ नहीं देखा था. मैंने लोगों का खून बहते हुए देखा, उनके सिर, नाक और मुंह से खून निकल रहा था. उनके चेहरे खून से सने हुए थे. 

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