Noida News: नोएडा और ग्रेटर नोएडा के 101 बिल्डरों के खिलाफ यूपी रेरा ने 1705 RC जिला प्रशासन के पास भेजी हैं. यूपी रेरा की ओर से यह आरसी मई 2018 से लगातार जारी की जा रही हैं.
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Noida News: उत्तर भारत के रियल एस्टेट हब का सबसे बड़ा शहर नोएडा इस वक्त बुरे दौर से गुजर रहा है. इस शहर में जितना बड़ा बिल्डर है, वह उतना ही बड़ा डिफॉल्टर है. गुरुवार को गौतमबुद्ध नगर के जिलाधिकारी मनीष वर्मा (Manish Verma IAS) ने कलेक्ट्रेट में प्रेस कॉन्फ्रेंस की ओर डिफॉल्टर बिल्डरों की लिस्ट जारी की है. इन बिल्डरों पर प्रॉपर्टी खरीदारों के अरबों रुपये बकाया है. डीएम ने बताया कि उनके पास उत्तर प्रदेश भू-संपदा विनियामक प्राधिकरण (UP RERA) की ओर से जारी की गई 1,705 आरसी हैं, जिनके जरिये बिल्डरों से 503 करोड़ रुपये की वसूली करनी है. यूपी रेरा की ओर से यह आरसी मई 2018 से लगातार जारी की जा रही हैं. अब डिफॉल्टर बिल्डरों से आम आदमी का पैसा वसूल करने में किसी तरह की लापरवाही या कोताही नहीं बरती जाएगी.
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नोएडा और ग्रेटर नोएडा के बिल्डरों के खिलाफ जारी की RC
गौतम बुद्ध नगर जिला प्रशासन ने रेरा के बकाये की वसूली के लिए बकाएदार बिल्डरों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया हैं. जिला प्रशासन में उत्तर प्रदेश भू-संपदा विनियामक प्राधिकरण (UP RERA) के आदेशों का पालन नहीं करने पर नोएडा और ग्रेटर नोएडा के 101 बिल्डर कंपनियों के खिलाफ 1705 आरसी रेरा ने जिला प्रशासन के पास भेज रखी हैं. इनसे 503 करोड़ रुपये की वसूली की जानी है. जिला प्रशासन वर्ष 2021 में 32 बिल्डरों की 315 करोड़ रुपये की संपत्तियां जब्त कर चुका है. जिला प्रशासन के इस कड़े रुख के कारण नोएडा और ग्रेटर नोएडा के बिल्डरों में मची हड़कंप मच गया है.
बिल्डरों की होगी संपत्ति सील
जिला प्रशासन की गठित 40 टीमों ने बिल्डर कंपनियों के दफ्तरों से लेकर घरों तक जाकर मुनादी करना शुरू कर दिया. उनके घर और दफ्तर के बाहर आरसी के नोटिस चस्पा किए जा रहे है. जो मुनादी के बाद भी रिस्पांस नहीं करेंगे. जिला प्रशासन उनकी संपत्ति सील करेगा, जब्त करने की कार्रवाई करेगा और जरूरत के अनुसार जेल भी भेजेगा. वहीं इनमें तमाम बिल्डर कंपनियों के मालिकों के दफ्तर दिल्ली, फरीदाबाद, गुड़गांव, गाजियाबाद या अन्य जिलों में है. वहां जाकर भी सरकारी टीमें कार्रवाई करेंगी. वहां के लोकल जिला प्रशासन और पुलिस की सहयोग इसके लिए लिया जाएगा.
डीएम ने बताया कि 101 बिल्डर कंपनियों में तहसील दादरी के अंतर्गत 73 बिल्डर कंपनियां आती हैं. इसमें कई बड़े बिल्डर ग्रुपों की कंपनियां हैं. वेव मेगा सिटी सेंटर प्राइवेट लिमिटेड से 80.55 करोड़ की आरसी वसूली जानी है. लॉजिक्स इंफ्रास्ट्रक्चर प्रा. लि. से 34.57 करोड़, सुपरटेक टाउनशिप प्रोजेक्ट लि. से 33.56 करोड़, महागुन इंडिया प्रा. लि. से 19.97 करोड़, पार्श्वनाथ डेवलपर्स लि. से 13.39 करोड़, इसके अलावा भी कई बड़े ग्रुपों की कंपनियां इनमें शामिल हैं, जिनसे वसूली होगी.
312 करोड़ की संपत्ति हुई जब्त
जिला प्रशासन ने इस तरह आरसी वसूलने के लिए पहले भी बिल्डरों पर कार्रवाई की है. वर्ष 2021 में 32 बिल्डरों की 315 करोड़ रुपये की संपत्तियां जब्त कर चुका है. अब जिला प्रशासन ने बड़े स्तर पर वसूली के लिए अभियान चलाने का फैसला लिया है. आज से ही कार्रवाई शुरू कर दी गई है. प्रशासन का लक्ष्य है कि अगले एक दो महीने में इन 503 करोड़ रुपये में से ज्यादा से ज्यादा रकम बिल्डरों से वसूला जा सके.
दादरी तहसील के पास 73 बकायेदार बिल्डर हैं, जिनके पास यूपी रेरा की 1,325 आरसी का 487 करोड़ रुपये बकाया हैं. सबसे बड़ा बकायेदार बिल्डर वेवमेगा सिटी सेंटर है, जिस पर 80 करोड़ रुपये बकाया हैं. सदर तहसील में 28 बिल्डरों की 380 आरसी हैं, जो 129 करोड़ रुपये की है. जिले के और बड़े बकायेदार बिल्डरों में लॉजिक्स इंफ्रास्ट्रक्चर, सुपरटेक, रूद्र बिल्डवेल, कॉसमॉस इन्फ्राएस्टेट, महागुन इंडिया, अजनारा, जयप्रकाश एसोसिएट्स, पार्श्वनाथ डेवलपर्स, फ्यूचर वर्ल्ड ग्रीन होम्स, सिक्का बिल्डर और वर्धमान इंफ्रा डेवलपर्स जैसे नामचीन कंपनियां शामिल हैं.