Parshuram Jayanti 2023: कब हुआ भगवान विष्णु के 6वें अवतार परशुराम का जन्म? जानें उनसे जुड़ी कहानी
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Parshuram Jayanti 2023: कब हुआ भगवान विष्णु के 6वें अवतार परशुराम का जन्म? जानें उनसे जुड़ी कहानी

Parshuram Jayanti 2023 Date: भगवान विष्णु के छठवें अवतार भगवान परशुराम का जन्म अक्षय तृतीया के दिन हुआ था. इसलिए इस दिन को परशुराम जयंति के रूप में भी मनाया जाता है. 

Parshuram Jayanti 2023: कब हुआ भगवान विष्णु के 6वें अवतार परशुराम का जन्म? जानें उनसे जुड़ी कहानी

Parshuram Jayanti 2023: भगवान विष्णु के अवतारों में से एक हैं भगवान परशुराम. इनका जन्म वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हुआ था और इसको अक्षय तृतीया के त्योहार के रूप में मनाया जाता है. इस साल अक्षय तृतीया तिथि 22 अप्रैल को है. इसी दिन ये त्योहार मनाया जाएगा. ये बता दें कि भगवान परशुराम हरि विष्णु के छठवें अवतार थे. आइए जानते हैं कब है परशुराम जयंति और  क्या है इसका महत्व.

परशुराम जयंति 2023 तिथि
इस साल अक्षय तृतीया के शुक्ल पक्ष की तिथि 22 अप्रैल को है. ये तिथी सुबह 7:49 बजे से शुरू होकर 24 घंटें यानी अगले दिन 7:49 बजे तक रहेगी. इसी को देखते हुए 22 अप्रैल 2023 को ही  अक्षय तृतीया  का त्योहार यानी परशुराम जयंति मनाई जाएगी. 

परशुराम जयंति 2023 शुभ मुहूर्त 
परशुराम जयंति पर अबूझ मुहूर्त होता है यानी किसी तरह के पंचांग नहीं देखा जाता है. इस दिन परशुराम की जयंति पर कई योग बन रहे हैं. इस योग में पूजा करने से मनचाहे फल की प्राप्ति होगी और भगवान विष्णु का आशीर्वाद बना रहेगा. 
सूर्योदय से लेकर सुबह 9:24 बजे तक
सुबह 11:53 से लेकर दिन 12:45 बजे तक

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भगवान परशुराम की कहानी 
पौराणिक कथाओं की मानें तो अन्याय, अत्याचार और अधर्म के प्रतीक बने राजा कार्त्तवीर्य सहस्त्रार्जुन के अन्यायों से धर्मशील प्रजा का उद्घार करने के लिए भगवान विष्णु ने छठवें अवतार के रूप में भगवान परशुराम का लिया था. पृथ्वी से सभी तरह की क्रूरता और हिंसा को खत्म करने के लिए उन्होंने इस रूप में जन्म लिया. इसी की कड़ी में उन्होंने कई बार दुश्मनों को नाष किया था. इतना ही नहीं इन्होंने अपने पिता का पालन करने के लिए गुस्से में आकर मां का भी वध कर दिया था, लेकिन उन्हें दोबारा से जीवनदान भी दिया था. 

जानें राम से कैसे बने भगवान परशुराम 
पुराणों की मानें तो ऐसा कहा जाता है कि भगवान परशुराम के जन्म के बाद उनके माता-पिता ने उनका नाम राम रखा था. भगवान परशुराम भगवान शिव के परम भक्त थे, उनकी तपस्या से खुश होकर शिवजी ने उन्हें कई अस्त्र भेंट स्वरूप दिए थे, जिसमें से एक फरसा भी था. बता दें कि फरशा को परशु भी कहा जाता है. तभी से उनको परशुराम के नाम से प्रसिद्ध हुए थे.