Delhi: यह विडंबना है, दिल्ली सरकार ने पांच सालों में विज्ञापनों पर 1,900 करोड़ रुपये खर्च किए- राजनिवास
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Delhi: यह विडंबना है, दिल्ली सरकार ने पांच सालों में विज्ञापनों पर 1,900 करोड़ रुपये खर्च किए- राजनिवास

Delhi: राजनिवास ने पर पलटवार करते हुए कहा कि आप ने  2019-2023 तक विज्ञापन पर 1900 करोड़ रुपये खर्च किए. इसे आम आदमी पार्टी की तरफ से कोविड-19 महामारी के दो वर्षों के दौरान गंभीर वित्तीय संकट के बावजूद इतना खर्च करना हास्यास्पद और सर्वथा अनुचित है.

Delhi: यह विडंबना है, दिल्ली सरकार ने पांच सालों में विज्ञापनों पर 1,900 करोड़ रुपये खर्च किए- राजनिवास

Delhi News: दिल्ली सरकार में मंत्री और आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता सौरभ भारद्वाज ने LG विनय कुमार सक्सेना को लेकर दावा किया कि एलजी ने सोशल मीडिया में पर अपना चेहरा चमकाने के लिए दिल्लीवालों के टैक्स के करोड़ रुपये खर्च करना का फैसला लिया है. सौरभ भारद्वाज ने यहा दावा एलजी के सोशल मीडिया अकाउंट्स को हैंडल करने के लिए कंपनी हायर करने के उद्देस्य से जारी किए गए टेंडर के नोटिस के आधार पर किया है. उन्होंने आरोप लगाया है कि दिल्ली में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले LG ऑफिस द्वारा प्रचार के लिए एजेंसी को रखना यह सीधे तौर पर दिल्ली के चुनावों को प्रभावित करने की साजिश है.  

पांच साल में विज्ञापन पर 1900 करोड़ खर्च
राजनिवास ने इस पर पलटवार करते हुए कहा कि आप ने  2019-2023 तक विज्ञापन पर 1900 करोड़ रुपये खर्च किए. इसे आम आदमी पार्टी की तरफ से कोविड-19 महामारी के दो वर्षों के दौरान गंभीर वित्तीय संकट के बावजूद इतना खर्च करना हास्यास्पद और सर्वथा अनुचित है. उन्होंने कहा कि 1.5 रुपये प्रति वर्ष का टेंडर मुख्य रूप से गलत सूचना के प्रसार को रोकने के लिए जारी किया गया था, लेकिन आम आदमी पार्टी (आप) ने कहा कि इससे पहले किसी भी एलजी ने अपनी छवि और कार्यालय के लिए इतनी महंगी सोशल मीडिया एजेंसी नहीं रखी थी.

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शीला दीक्षित शासन के पांच वर्षों के दौरान विज्ञापन खर्च था 87.5 करोड़ रुपये
राजनिवास ने इसका प्रतिवाद करते हुए कहा कि राज्य सरकार ने अपने नेता और राजनीतिक दल (आप) के व्यक्तिगत महिमामंडन के लिए विज्ञापन पर औसतन 36 करोड़ रुपये प्रति माह और 1.2 करोड़ रुपये प्रतिदिन खर्च किए हैं. यह उल्लेख करना अनुचित नहीं होगा कि 2009-2010 से 2013-2014 के दौरान शीला दीक्षित शासन के पांच वर्षों के दौरान विज्ञापनों पर खर्च मात्र 87.5 करोड़ रुपये था, जबकि इस सरकार ने 1,900 करोड़ रुपये खर्च किए. यह विडंबना है कि इस तरह के बयान उस सरकार के मंत्री की ओर से आ रहे हैं, जो अकेले प्रेस विज्ञप्ति जारी करने वाली एजेंसी पर 30 लाख रुपये प्रति माह ( एक लाख रुपये प्रतिदिन) खर्च करती है, अपने राजनीतिक कार्यक्रमों की लाइव स्ट्रीमिंग के लिए एक एजेंसी पर सालाना 14 करोड़ रुपये , एक पीआर एजेंसी पर सालाना 4 करोड़ रुपये और एक सोशल मीडिया एजेंसी पर सालाना 2 करोड़ रुपये खर्च करती है.

आप ने कहा वह दिल्ली के पहले एलजी नहीं है
आप ने पलटवार करते हुए कहा कि उपराज्यपाल ने अपनी तुलना एक निर्वाचित सरकार से करनी शुरू कर दी है, जिसने प्रचार के लिए बजट मंजूर किए हैं. आप प्रवक्ता ने कहा कि एलजी साहब और उनके सचिवालय की समस्या यह है कि उन्होंने खुद की तुलना को दिल्ली की चुनी हुई सरकार या सीएम से करनी शुरू कर दी है. वे भूल गए हैं कि चुने हुए प्रधानमंत्री, केंद्र सरकार के चुने हुए मंत्री और राज्यों के चुने हुए सीएम जनता के सामने वाले पदों पर बैठे हैं, जिन्हें जनता ने लोकप्रिय तरीके से चुना है. प्रचार और सोशल मीडिया के लिए उनके बजट को उनकी कैबिनेट और बाद में चुनी हुई संसद या संबंधित राज्यों की चुनी हुई विधानसभाओं द्वारा अनुमोदित किया जाता है. आप ने आगे कहा है कि उपराज्यपाल(एलजी) को समझना चाहिए कि वह दिल्ली के पहले उपराज्यपाल नहीं है. ऐसे कई निपुण व्यक्ति हुए है जो कि एलजी जैसे सम्मानजनक पद पर रहे हैं.

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