दुश्मन का हर दुश्मन दोस्त, BJP को सत्ता से बाहर करने के लिए अखिलेश यादव ने अपनाई ये रणनीति
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दुश्मन का हर दुश्मन दोस्त, BJP को सत्ता से बाहर करने के लिए अखिलेश यादव ने अपनाई ये रणनीति

New political Alliance : 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में सपा ने छोटे दलों के साथ गठबंधन किया. इस चुनाव में सपा की सीटें 47 से बढ़कर 111 तक पहुंच गई लेकिन बहुमत से काफी दूर रही. अब सपा नए सिरे से TRS के संपर्क में है. 

 

दुश्मन का हर दुश्मन दोस्त, BJP को सत्ता से बाहर करने के लिए अखिलेश यादव ने अपनाई ये रणनीति

नई दिल्ली : उत्तर प्रदेश में पहले 2017 और फिर 2022 के विधानसभा चुनावों के लिए सपा द्वारा किए गठबंधन टूटने के बाद भी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने हार नहीं मानी है. आगामी लोकसभा चुनाव में बीजेपी के सामने मजबूत विकल्प देने के लिए विपक्ष की कवायद फिर से जोर पकड़ती दिखाई दे रही है.

इस क्रम में आज पीएम में राजनीतिक धुर विरोधी तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने शुक्रवार को दिल्ली स्थित अपने आवास पर सपा  प्रमुख अखिलेश यादव और वरिष्ठ नेता राम गोपाल यादव से मुलाकात की. एक आधिकारिक बयान के अनुसार, घंटेभर चली बैठक के दौरान दोनों नेताओं ने मौजूदा राजनीतिक स्थिति और अन्य राष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा की. हाल ही में राष्ट्रपति चुनाव के समय टीआरएस प्रमुख चंद्रशेखर राव ने पीएम मोदी को साहूकार दोस्तों का सेल्समैन तक कह डाला था.

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मार्च में ही उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की जीत के बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी ने इसे मशीनरी जनादेश करार दिया था और कहा था कि अखिलेश यादव इस जनादेश को चुनौती देनी चाहिए. दरअसल एक बार फिर अखिलेश यादव विपक्षी एकता पर जोर दे रहे हैं.

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गुरुवार को उन्होंने कहा था कि केंद्र सरकार ईडी और सीबीआई के जरिए विपक्ष को बांटने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपना रही है. यह लोकतंत्र के लिए खतरनाक स्थिति है. इस दौरान अखिलेश ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ भी संवेदना जताई.

यूपी चुनाव में छोटे दलों से हुआ बड़ा फायदा 
2017 का यूपी विधानसभा चुनाव सपा और कांग्रेस ने मिलकर लड़ा था. सपा ने 311 सीटों पर लड़ी थी और सिर्फ 47 सीटें जीत सकी थी. वहीं कांग्रेस ने 114 सीटों पर चुनाव लड़ा और 7 पर विजयी रही थी. चुनाव परिणाम आने के बाद से ही अखिलेश और राहुल गांधी की राहें जुदा हो गई थीं.

वहीं 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में सपा ने छोटे दलों के साथ गठबंधन किया. इस चुनाव में सपा की सीटें 47 से बढ़कर 111 तक पहुंच गई लेकिन बहुमत से काफी दूर रही. इधर हाल ही में राष्ट्रपति चुनाव के बारे में उन्होंने कहा कि वह तृणमूल कांग्रेस के निर्णय का समर्थन करेंगे और किया भी.