Divorce: हफ्ता, महीना या साल... कब तक संबंध नहीं बनाना क्रूरता के दायरे में आएगा? फिर मिल सकता है तलाक
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Divorce: हफ्ता, महीना या साल... कब तक संबंध नहीं बनाना क्रूरता के दायरे में आएगा? फिर मिल सकता है तलाक

MP Highcourt on Physical realtion: क्या शादी का मतलब शारीरिक संबंध है. क्या शारीरिक संबंध ना बनाने की वजह से या इनकार करने पर शादी टूट सकती है. इस मामले में मध्य प्रदेश हाइकोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है. अदालत ने माना कि शारीरिक संबंध नहीं बनाने का अर्थ यह कि पति और पत्नी के बीच भावनात्मक लगाव या तो कमजोर या नहीं है. 

Divorce: हफ्ता, महीना या साल... कब तक संबंध नहीं बनाना क्रूरता के दायरे में आएगा? फिर मिल सकता है तलाक

Divorce Case News: जब दो लोग शादी करते हैं तो अग्नि के सामने सात फेरे लेकर एक दूसरे के साथ जीवन भर रहने का वादा करते हैं. वादा इस बात का सुख और दुख की घड़ी में एकदूसरे का साथ नहीं छोड़ेंगे. आज से करीब 40-50 साल पहले तक तलाक की खबरें कम सुनाई देती थी. लेकिन शायद अब सात फेरों का बंधन कमजोर हो रहा है. अगर ऐसा नहीं होता तो तलाक के मामले कम सुनाई देते.

अब बात जब तलाक की हो रही है तो आखिर वो कौन सी वजहें जो एक दूसरे से अलग होने का आधार बनाती है. तलाक की जटिलताओं को समझने से पहले हम आपको मध्य प्रदेश हाइकोर्ट के एक फैसले को बताएंगे जिसमें अदालत ने माना कि अगर पति या पत्नी में से कोई शारीरिक संबंध बनाने से इनकार करता है तो वो ना सिर्फ मानसिक क्रूरता की कैटिगरी में आता है बल्कि तलाक का आधार भी है. अब पहले जानें कि मामला क्या है.

क्या था मामला

मध्य प्रदेश हाइकोर्ट के सामने सुदीप्तो साहा नाम के एक शख्स ने तलाक के लिए अर्जी दाखिल की थी. सुदीप्तो का कहना था कि उसकी पत्नी शारीरिक संबंध बनाने से इनकार करती रही. उसकी वजह से वो मानसिक परेशानी के दौर से गुजरा है. अदालत ने भी उसकी परेशानी, उसके तर्क को सुना और तलाक पर मुहर लगा दी. सुदीप्तो बताते हैं कि साल 2006 जुलाई के महीने में उनकी शादी मौमिता से हुई. शादी वाले दिन से लेकर अगले 14 दिन तक उनकी पत्नी ने शारीरिरक संबंध बनाने से इनकार कर दिया और उसकी वजह से मानसिक कष्ट से गुजरा. सुदीप्तो बताते हैं कि उनकी पत्नी ने कहा शादी उसकी मर्जी के बगैर उसके माता पिता ने की है. उसका पहले से किसी से लगाव था और वो अपने प्रेमी के साथ ही रहना चाहती है.

सुदीप्तो बताते हैं कि वो अपनी पत्नी की बात सुनकर हैरान थे. उनके पास कोई दूसरा रास्ता भी नहीं था. उन्हें जब लगा कि यह सफर लंबे समय तक नहीं चल सकता तो उन्होंने अलग होने का फैसला किया. हालांकि पत्नी ने उससे भी इनकार कर दिया. उन्होंने फैमिली कोर्ट में अर्जी लगाई हालांकि फैमिली कोर्ट ने उनकी अर्जी को ठुकरा दिया. कष्ट की बात तो यह थी कि उनकी पत्नी ने उनके माता-पिता के खिलाफ दहेज की झूठी शिकायत भी दर्ज कराई और प्रताड़ित भी किया.

यही नहीं उसने माता-पिता पर गला घोंटने की कोशिश और आत्मदाह करने का भी आरोप लगाया. उसकी वजह से माता-पिता दोनों को 23 दिन तक जेल में भी रहना पड़ा. हम लोगों के साथ उसने एक समझौता किया और 1 लाख रुपए भी लिए लेकिन उसने भोपाल में एक और केस दर्ज कराया. पत्नी के इस तरह के बर्ताव से उसे घोर मानसिक परेशानी के दौर से गुजरना पड़ा था.

यह है तलाक का आधार

अब आपकी दिलचस्पी इस बात में होगी कि तलाक लेने का आधार क्या होता है. हिंदू विवाह अधिनियम के तहत आमतौर पर शादी के एक साल तक डाइवोर्स की डिक्री नहीं जारी होती है. हालांकि पति और पत्नी दोनों एक साल तक अलग रहे तो तलाक की अर्जी लगाई जा सकती है. अब यहां समझेंगे कि मानसिक क्रूरता को लेकर हिंदू विवाह अधिनियम क्या कहता है. इसमें इस बात का जिक्र है कि पति या पत्नी को यह साबित करना होगा कि शादी के पांच साल तक दोनों में से किसी एक ने शारीरिक संबंध बनाने से इनकार किया या इमोशनली एक दूसरे को टॉर्चर किया करते थे. दोनों के एक साथ रहने की वजह से सुरक्षा को खतरा पैदा हो सकता है.

जब पति या पत्नी दोनों का एक दूसरे से भावनात्मक लगाव है ही नहीं तो दोनों के एक साथ रहने का औचित्य ही नहीं है. हालांकि अडल्ट्री, शारीरिक हिंसा का हवाला देकर 12 महीने से पहले भी डाइवोर्स की अर्जी लगाई जा सकती है, लेकिन इसके लिए पीड़ित पक्ष को अदालत के सामने ठोस साक्ष्य पेश करने होंगे.

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